महाराष्ट्र: चीनी मिलों का पेराई क्षमता बढ़ाने पर जोर

पुणे : अनसोल्ड चीनी स्टॉक या गन्ना बकाया महाराष्ट्र के चीनी उद्योग के लिए परियोजनाओं का विस्तार करने के लिए कोई बाधा नहीं बनी है। इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आगामी 2021-22 के पेराई सत्र के लिए उद्योग ने लगभग 80,000 टन की अतिरिक्त पेराई क्षमता बनाई है। गन्ने की उपलब्धता मौसमी बारिश से प्रभावित होने के बावजूद, राज्य में चीनी उद्योग ने बड़े पैमाने पर विस्तार परियोजनाएं शुरू की हैं। अगले सीजन के लिए 27 मिलों ने कथित तौर पर अपने क्रशिंग ऑपरेशन का विस्तार किया है, जिससे राज्य की कुल पेराई क्षमता में 76,000 टन की वृद्धि हुई है। राज्य में चालू 190 मिलों ने दैनिक पेराई क्षमता को मौजूदा 7.28 लाख टीसीडी (टन प्रति दिन गन्ना) से बढ़ाकर 8.05 लाख टीसीडी कर दिया है। पेराई क्षमता के अलावा, 145 मिलों ने अपनी इथेनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है।

महाराष्ट्र में चीनी उद्योग प्रकृति की अनियमितताओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। कोल्हापुर और सांगली जैसे ‘चीनी बेल्ट’ जिलों की मिलों को छोड़कर, अन्य जिलों में मिलों को कम वर्षा के कारण गन्ने की कमी का सामना करना पड़ता है। अहमदनगर, सोलापुर और पुणे और मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में मिलों को सूखे के वर्षों के दौरान परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। राज्य के गन्ना क्षेत्र में कई बार उथल पुथल देखने को मिलती है, जिसमें सूखे के वर्षों में तेज गिरावट और अधिक बारिश के वर्षों में रकबा बढ़ जाता हैं। जैसे की 2019-20 सीज़न के लिए गन्ने का रकबा 8.22 लाख हेक्टेयर तक गिर गया, वहीं 2020-21 सीज़न के लिए यह 11.42 लाख हेक्टेयर हो गया था। गन्ने की उपलब्धता और चीनी उत्पादन के आंकड़े भी उसी के अनुसार डोल रहे हैं। 2019-20 सीजन में मिलों ने 545.26 लाख टन गन्ने की पेराई कर 61.62 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जबकि 2020-21 सीजन में 1012.08 लाख टन गन्ने की पेराई करके 106.21 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here