महाराष्ट्र: राज्य में निजी चीनी मिलें सहकारी मिलों से आगे

पुणे : भारत के सहकारी चीनी आंदोलन के जन्म स्थान महाराष्ट्र में, इस सीजन में चीनी मिलों की परिचालन गतिशीलता में उल्लेखनीय बदलाव आया है। परंपरागत रूप से, महाराष्ट्र में सहकारी मिलों का बोलबाला रहा है, हालांकि इस सीजन में निजी मिलों ने संचालन में सहकारी मिलों को पीछे छोड़ दिया है। निजी मिलें पहली बार सहकारी मिलें से आगे निकल गई हैं। इस सीजन में, 104 निजी मिलें गन्ना पेराई कर रही हैं, जो परंपरागत रूप से इस क्षेत्र पर हावी रही 103 सहकारी मिलों से अधिक है।

राज्य चीनी आयुक्त कार्यालय के मौजूदा सीजन के आंकड़े बदलाव की गतिशीलता को रेखांकित करते हैं, वर्तमान पेराई सीजन में 103 सहकारी मिलों की तुलना में 104 निजी मिलें परिचालन कर रही हैं। पिछले वर्ष दोनों क्षेत्रों ने समान संख्या में मिलें संचालित की (सहकारी और निजी क्षेत्र में प्रत्येक में 105 मिलें) थी। चीनी उद्योग के खिलाड़ियों ने ‘बिजनेसलाइन’ को बताया कि, दिलचस्प बात यह है कि 103 चालू चीनी सहकारी समितियों में से 12 मिलें सहकारी मिलों द्वारा दिए गए अनुबंध पर निजी खिलाड़ियों द्वारा चलाई जा रही हैं।

2010-11 सीजन में, 164 चालू मिलों में से केवल 25 प्रतिशत निजी थीं। 2019-20 तक, यह आंकड़ा 147 चालू मिलों में से 46 प्रतिशत तक बढ़ गया। इस सीजन में सहकारी मिलों की तुलना में निजी मिलें अधिक हैं।

इस सीजन कुल मिलाकर 207 चीनी मिलों ने पेराई में भाग लिया था। जिसमे 103 सहकारी एवं 104 निजी चीनी मिलें शामिल है, और 783.37 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है। राज्य में अब तक लगभग 768.5 लाख क्विंटल (76.85 लाख टन) चीनी का उत्पादन किया गया है।

 

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