महाराष्ट्र के चीनी मिलों की चीन, बांग्लादेश और इंडोनेशिया पर नजर

मुंबई : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव कगार पर है और ऐसे वक्त में केंद्र सरकार द्वारा चीनी निर्यात सब्सिडी राज्य के चीनी मिलों के लिए एक तोहफे से कम नहीं है। महाराष्ट्र में अधिकतर चीनी मिलें कथित तौर पर राजनेताओं द्वारा चलाया जाता है, इसीलिए यहाँ इसका महत्वपूर्ण बहुत है।

नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नायकनवारे कहते हैं की, “महाराष्ट्र से चीनी का निर्यात तुरंत शुरू होगा क्योंकि 10.45 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी राज्य में मिलों के लिए बहुत ही आकर्षक है।”

नायकनवारे के अनुसार, चीनी मिलों के अधिकारी पिछले कुछ साल से संभावित आयातकों का दौरा कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं से अतिरिक्त सफेद चीनी की मांग के चलते बहुत तकनीकी बदलाव भी आया है। महाराष्ट्र के चीनी उत्पादक चीन, बांग्लादेश और इंडोनेशिया के बाजारों पर नजर गड़ाए हुए हैं।

महाराष्ट्र चीनी अधिशेष की समस्या से जूझ रहा है और जिसके चलते वे गन्ना बकाया चुकाने में विफल रहे। इस साल की शुरुआत में, राज्य में चीनी मिलों ने किसानों को चीनी के रूप में गन्ने का भुगतान लेने के लिए कहा था क्योंकि उनके पास पर्याप्त धन नहीं था।

भारत सरकार द्वारा चीनी निर्यात में सब्सिडी देने का फैसला न सिर्फ चीनी उद्योग के लिए मददगार साबित होगा बल्कि गन्ना किसान भी इससे काफी खुश है। देश में चीनी मिलें आर्थिक तंगी से जूझ रही है और इसलिए वे गन्ना बकाया चुकाने में विफल रहे है। अब निर्यात सब्सिडी चीनी मिलों को गन्ना बकाया चुकाने में सहायता करेगा। जिससे किसानों में खुशी की लहर देखी जा रही है। सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी और बाद में शेष राशि, यदि कोई हो, मिल के खाते में जमा की जाएगी।

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