मौसम विज्ञान विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान, जानिए किसानों के लिए इस बार कैसा रहेगा मानसून

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव, डॉ. एम. रविचंद्रन ने मीडिया को बताया है कि पूरे देश में जून से सितंबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून की 96 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना है और किसानों को कम वर्षा के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

मीडिया को 2023 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी मौसम की वर्षा के सारांश के बारे में जानकारी देते हुए, उन्होंने कहा कि यह ± 5 प्रतिशत ( सामान्य ) की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी ( दीर्घ ) अवधि के औसत ( एलपीए ) का 96 प्रतिशत होगा। उन्होंने ± 5प्रतिशत ( सामान्य ) की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी अवधि का औसत ( एलपीए ) जोड़ा।

डॉ. रविचंद्रन ने कहा कि यह पूर्वानुमान गतिशील और सांख्यिकीय दोनों मॉडलों पर आधारित है जिनसे पता चलता है कि मात्रात्मक रूप से, मानसून मौसमी वर्षा ± 5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी अवधि के औसत ( एलपीए ) का 96 प्रतिशत होने की संभावना है। 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है।

समूचे देश में मौसमी (जून से सितंबर) वर्षा के लिए पाँच श्रेणी के संभावित पूर्वानुमान नीचे दिए गए हैं, जो मानसून मौसमी वर्षा के सामान्य होने की उच्च संभावना का सुझाव देते हैं।

श्रेणी वर्षा की सीमा

(एलपीए का प्रतिशत)

पूर्वानुमान सम्भावना (प्रतिशत) जलवायुविज्ञानी सम्भावना (प्रतिशत)
कम < 90 22 16
सामान्य से कम 90-95 29 17
सामान्य 96-104 35 33
सामान्य से अधिक 105-110 11 16
अत्यधिक 110 3 17

2023 दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम की वर्षा के लिए एकाधिक मॉडल युग्मन ( मल्टी मॉडल एन्सेम्बल – एमएमई ) पूर्वानुमान उत्पन्न करने के लिए उप-प्रारंभिक स्थितियों का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय मानसून क्षेत्र में उच्चतम कौशल वाले सर्वश्रेष्ठ जलवायु मॉडल का उपयोग एमएमई पूर्वानुमान उत्पन्न करने के लिए किया गया है। उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत के हिम आवरण ( स्नो कवर ) के प्रसार की सीमा की प्रवृत्ति इसके बाद होने वाली ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा के साथ सामान्य विपरीत संबंध की है।

2003 से, भारत मौसम विज्ञान विभाग ( आईएमडी ) दक्षिण-पश्चिम मानसून की मौसमी ( जून से सितंबर ) वर्षा के लिए दो चरणों में पूरे देश में औसत वर्षा के लिए परिचालन अवधि का पूर्वानुमान ( एलआरएफ ) जारी कर रहा है। पहले चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में जारी किया जाता है और दूसरा चरण या अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत तक जारी किया जाता है।
2021 से भारत मौसम विज्ञान विभाग ( आईएमडी ) ने वर्तमान के दो चरण की पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा के लिए मासिक और मौसमी परिचालन पूर्वानुमान जारी करने के लिए एक नई रणनीति लागू की है। नई रणनीति गतिशील और सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली दोनों का उपयोग करती है। आईएमडी के मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली ( एमएमसीएफएस ) सहित विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान केंद्रों से युग्मित ( कपल्ड ) वैश्विक जलवायु मॉडल ( सीजीसीएम ) पर आधारित मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल ( एमएमई ) पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग गतिशील पूर्वानुमान प्रणाली में किया जाता है।

आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने एक विस्तृत प्रस्तुति देते हुए कहा कि वर्तमान में ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ स्थितियों में बदल गई है। नवीनतम एमएमसीएफएस के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि अल नीनो की स्थिति के मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है।
फरवरी और मार्च 2023 के दौरान उत्तरी गोलार्ध के हिम आवरण क्षेत्रों को सामान्य से कम देखा गया है I उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत के हिम आवरण ( स्नो कवर ) के प्रसार की सीमा की प्रवृत्ति इसके बाद होने वाली ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा के साथ सामान्य विपरीत संबंध की है ।

डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि आईएमडी मई 2023 के अंतिम सप्ताह में मानसून के मौसम की वर्षा के लिए अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा।

समी वर्षा ( जून से सितंबर ) के लिए टर्साइल श्रेणियों ( सामान्य से अधिक , सामान्य और सामान्य से कम ) के लिए संभावित पूर्वानुमानों का स्थानिक वितरण चित्र 1 में दिखाया गया है । स्थानिक वितरण से पता चलता है कि प्रायद्वीपीय भारत के कई क्षेत्रों और इससे सटे पूर्व मध्य भारत, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है । उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों और पश्चिमी मध्य भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। भूमि के भीतर सफेद छायांकित क्षेत्र जलवायु संबंधी संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

डॉ. महापात्र ने कहा, वर्तमान में, ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ स्थितियों में बदल गई है। नवीनतम एमएमसीएफएस के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि अल नीनो की स्थिति मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है ।

डॉ. महापात्र ने कहा कि वर्तमान में ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ स्थितियों में बदल गई है । नवीनतम एमएमसीएफएस के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि अल नीनो की स्थिति के मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है ।

वर्तमान में, हिंद महासागर के ऊपर तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव ( इंडियन ओशन डाइपोल – आईओडी ) स्थितियां विद्यमान हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि सकारात्मक आईओडी स्थितियों के दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है।

डॉ. महापात्र ने बताया कि चूंकि प्रशांत और हिंद महासागर के ऊपर समुद्र की सतह के तापमान ( सी सर्फेस टेम्परेचर – एसएसटी ) की स्थिति को भारतीय मानसून पर एक मजबूत प्रभाव के लिए जाना जाता है इसलिए आईएमडी इन महासागरीय घाटियों ( बेसिन्स ) पर समुद्र की सतह की स्थिति के विकास की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहा है ।

पृष्ठभूमि

2003 से ही भारत मौसम विज्ञान विभाग ( आईएमडी ) दक्षिण-पश्चिम मानसून की मौसमी ( जून-सितंबर ) वर्षा के लिए दो चरणों में पूरे देश में औसत वर्षा के लिए परिचालन लंबी अवधि का पूर्वानुमान ( एलआरएफ ) जारी कर रहा है। पहले चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में जारी किया जाता है और दूसरा चरण या अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत तक जारी किया जाता है। 2021 से आईएमडी ने मौजूदा दो चरण की पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा के लिए मासिक और मौसमी परिचालन पूर्वानुमान जारी करने के लिए एक नई रणनीति लागू की है। नई रणनीति गतिशील और सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली दोनों का उपयोग करती है। आईएमडी के मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली ( एमएमसीएफएस ) सहित विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान केंद्रों से युग्मित वैश्विक जलवायु मॉडल ( सीजीसीएम ) पर आधारित मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल ( एमएमई ) पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग गतिशील पूर्वानुमान प्रणाली में किया जाता है।

पूरे देश में 2023 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम ( जून-सितंबर ) की वर्षा का पूर्वानुमान

गतिशील और सांख्यिकीय मॉडल दोनों के आधार पर पूर्वानुमान से पता चलता है कि मात्रात्मक रूप से, मॉनसून मौसमी वर्षा ± 5प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी अवधि के औसत ( एलपीए ) का 96प्रतिशत होने की संभावना है । 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है।

श्रेणी वर्षा की सीमा (एलपीए का प्रतिशत) पूर्वानुमान सम्भावना (प्रतिशत) जलवायुविज्ञानी सम्भावना (प्रतिशत)
कम < 90 22 16
सामान्य से कम 90-95 29 17
सामान्य 96-104 35 33
सामान्य से अधिक 105 -110 11 16
अत्यधिक > 110 3 17

2023 दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न वर्षा के लिए एमएमई पूर्वानुमान उत्पन्न करने के लिए अप्रैल की प्रारंभिक स्थितियों का उपयोग किया गया है । एमएमई पूर्वानुमान उत्पन्न करने के लिए भारतीय मानसून क्षेत्र में उच्चतम कौशल वाले सर्वश्रेष्ठ जलवायु मॉडल का उपयोग किया गया है।

मौसमी वर्षा ( जून से सितंबर ) के लिए टरसाइल श्रेणियों ( सामान्य से अधिक , सामान्य और सामान्य से कम ) के लिए संभावित पूर्वानुमानों का स्थानिक वितरण चित्र 1 में दिखाया गया है। स्थानिक वितरण से पता चलता है कि प्रायद्वीपीय भारत के कई क्षेत्रों और इससे सटे पूर्व मध्य भारत, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। उत्तर पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों और पश्चिम मध्य भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। भूमि के भीतर सफेद छायांकित क्षेत्र जलवायु संबंधी संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं ।

भूमध्यरेखीय प्रशांत और हिंद महासागर में समुद्र की सतह के तापमान ( एसएसटी ) की स्थितियां

वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में ला नीना की स्थिति तटस्थ स्थिति में बदल गई है । नवीनतम एमएमसीएफएस के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि अल नीनो की स्थिति के मानसूनी मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है।

वर्तमान में, तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव ( इंडियन ओशन डाइपोल – आईओडी ) स्थितियां हिंद महासागर के ऊपर विद्यमान हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करता है कि इसकी सकारात्मक आईओडी स्थितियां दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है ।

चूंकि प्रशांत और हिंद महासागर के ऊपर समुद्र की सतह के तापमान ( सी सर्फेस टेम्परेचर – एसएसटी ) की स्थिति को भारतीय मानसून पर एक मजबूत प्रभाव के लिए जाना जाता है इसलिए आईएमडी इन महासागरीय घाटियों ( बेसिन्स ) पर समुद्र की सतह की स्थिति के विकास की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहा है ।

उत्तरी गोलार्ध पर हिम आवरण के क्षेत्र फरवरी और मार्च 2023 के दौरान उत्तरी गोलार्ध के हिम आवरण क्षेत्रों को सामान्य से कम देखा गया है I उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत के हिम आवरण ( स्नो कवर ) के प्रसार की सीमा की प्रवृत्ति इसके बाद होने वाली ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा के साथ सामान्य विपरीत संबंध की है ।

चित्र 1: चित्र 1. 2023 दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न ( जून- सितंबर ) के दौरान भारत में मौसमी वर्षा के लिए टर्साइल श्रेणियों* (सामान्य से कम , सामान्य और सामान्य से अधिक ) का संभावित पूर्वानुमान । यह आंकड़ा सबसे संभावित श्रेणियों के साथ-साथ उनकी संभावनाओं को दिखाता है । सफेद छायांकित क्षेत्र सभी टरसाइल श्रेणियों के लिए जलवायु संबंधी संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। सर्वोत्तम युग्मित जलवायु मॉडलों के एक समूह से तैयार एमएमई पूर्वानुमान का उपयोग करके संभावनाएँ प्राप्त की गईं। (टर्साइल श्रेणियों* में प्रत्येक के 33.33प्रतिशत की समान जलवायु संबंधी संभावनाएँ हैं ) ।

(Source: PIB)

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here