महाराष्ट्र के व्यापारी कहते हैं… मिलों को अब कच्चे चीनी का उत्पादन करना चाहिए

पुणे: चीनी मंडी

2018-19 खरीफ मौसम के दौरान देश में गन्ना और चीनी का उत्पादन नई ऊंचाई छूने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन पहले ही चीनी की कम कीमत और कम मांग के चलते आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रही चीनी मिले इस साल की बम्पर उत्पादन के कारण और संकट में फसने की आशंका जताई जा रही है । इस चुनौती से निपटने के लिए महाराष्ट्र के चीनी व्यापारी चाहते है की, राज्य की सभी चीनी मिलों को पहले दो महीनों के लिए कच्ची चीनी का उत्पादन अनिवार्य बनाने के लिए आग्रह किया जाना चाहिए ।

पिछले तीन वर्षों में, दोनों सफेद और कच्ची चीनी की कीमतों में वैश्विक बाजार में भारी गिरावट देखि जा रही है, इसके चलते चीनी मिलों को संकट से निकलने के लिए कच्ची चीनी का उत्पादन बढ़ाने की मांग राज्य के सहकार मंत्री सुभाष देशमुख के सामने ‘विस्मा’ के अध्यक्ष बी. बी. ठोम्ब्रे ने रखी । ठोम्ब्रे ने कहा की, वर्तमान में चीनी की कीमतें सबसे निचले स्तर पर यानि की 10 सेंट प्रति पाउंड हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में श्वेत/सफेद चीनी की लगभग कोई मांग नहीं है, लेकिन एशियाई बाजार में ज्यादातर कच्ची चीनी की मांग अच्छी अच्छी है, इसीलिए हमे इस सीझन में कच्ची चीनी उत्पादन के लिए बढ़ावा देना होगा।

सरकार ने 2017-18 के दौरान 20 लाख टन चीनी निर्यात अनिवार्य लक्ष्य रखा था, लेकिन यह लक्ष्य आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं था । लेकिन सरकारद्वारा अब गन्ना उत्पादकों को दिए गए प्रोत्साहनों में वृद्धि हुई है। यूनियन कैबिनेटद्वारा पिछले हफ्ते चीनी निर्यात नीति का ऐलान होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐलान हो नही सका, अब मौजूदा सप्ताह में प्रस्ताव पर चर्चा करने की संभावना है। यदि भारत की तरफ से निर्यात को बढ़ावा देने का फैसला होता है, तो वैश्विक कीमतों में प्रति पाउंड 10 सेंट तक पहुंचने की संभावना है।

व्यापार के एक वर्ग ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मासिक चीनी रिलीज तंत्र को हटाने की भी मांग की है। चीनी दलाल अभिजीत घोरपडे ने कहा, “अगर रिलीज तंत्र हटा दिया जाता है, तटीय राज्य 6-7 लाख टन चीनी निर्यात कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें घरेलू बाजार की आवश्यकताओं का ख्याल रख सकते हैं।

SOURCEChiniMandi

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