काफी नहीं है चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 29 रुपये प्रति किलो

नई दिल्ली। इंडियन सुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) और नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव सुगर फैक्ट्रीज़ लिमिटेड (NFCSF) ने आज चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (29 रुपये प्रति किलो) को अपर्याप्त करार दिया।

दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने आज गन्ना किसानों के लिए 8500 करोड़ रुपये जारी किए हैं। कैबिनेट की बैठक में चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भी फैसला लिया गया। इस संबंध में उद्योग संगठनों ने आज कहा कि केंद्र द्वारा तय MSP उत्पादन लागत को पूरा नहीं करता। इन संगठनों का कहना है कि इससे चीनी मिलों के लिए गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करना कठिन हो गया है।

22,000 करोड़ रुपये का बकाया
भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) ने चीनी उद्योग और गन्ना किसानों के लिए सरकार के 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज का स्वागत किया, जबकि सहकारी चीनी कारखानों के राष्ट्रीय महासंघ (NFCSF) ने कहा कि यह राशि 22,000 करोड़ रुपये के बकाये के मुकाबले काफी कम है।

केंद्र के फैसले की सराहना
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने सरकार के चीनी के 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने, इथेनॉल क्षमता को बढ़ावा देने के लिए 4,500 करोड़ रुपये का आसान ब्याज दर वाला कर्ज प्रदान करने और चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय करने के सरकार के फैसले की सराहना की।

खुदरा कीमतों पर कोई खास असर नहीं
ISMA के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने एक बयान में कहा, ‘चीनी की न्यूनतम एक्स-मिल बिक्री कीमत 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय करने का निर्णय इसके लगभग 28 रुपये प्रति किलो के मौजूदा स्तर में सुधार करेगा, लेकिन इससे खुदरा कीमतों पर कोई खास असर देखने को नहीं मिल सकता है।’

29 रुपये की राशि अपर्याप्त
अविनाश वर्मा ने कहा, ‘मौजूदा उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) का समर्थन करने वाली चीनी की एक्स-मिल कीमत करीब 35 रुपये प्रति किलोग्राम है और इसलिए 29 रुपये की राशि अपर्याप्त है। इसलिए, इस आधार पर चीनी उद्योग से भारी गन्ना मूल्य बकाया को खत्म करने की उम्मीद करना एक चुनौती होगी।’

काफी कम हैं 8,000 करोड़ रुपये
NFCSF के अध्यक्ष दिलीप वाल्से पाटिल ने कहा कि गन्ना किसानों के 22,000 करोड़ रुपये के बकाया राशि की तुलना में चीनी उद्योग के लिए 8,000 करोड़ रुपये का सहायता पैकेज काफी कम है। उन्होंने कहा कि चीनी बिक्री की दर 29 रुपये प्रति किलो तय करना संतोषप्रद नहीं है क्योंकि यह 35 रुपये प्रति किलो की औसत उत्पादन लागत से कम है।

तत्काल राहत नहीं मिलेगी
दिलीप वाल्से पाटिल ने कहा, ‘मंत्रिमंडल के फैसलों ने चीनी उद्योग को तात्कालिक राहत दी है, लेकिन देश भर में चीनी उद्योग, चीनी कारखानों और गन्ना किसानों की मूल समस्या को संबोधित नहीं किया गया है।’ देश में इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए मिलों को 4,400 करोड़ रुपये के ‘सस्ते कर्ज’ के बारे में पाटिल ने कहा कि इससे तत्काल राहत नहीं मिलेगी।

SOURCEEenadui India.

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