चीनी MSP 4200 रुपये प्रति क्विंटल किया जाये: WISMA ने केंद्र सरकार से की मांग

मुंबई: WISMA ने कहा, केंद्र सरकार ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए गन्ने का एफआरपी 150 रुपये प्रति टन बढ़ाकर 3550 रुपये कर दिया है, जो बहुत स्वागत योग्य घटनाक्रम है। हालांकि, ‘विस्मा’ ने कहा है कि केंद्र सरकार को अब चीनी का MSP भी बढ़ाने की जरूरत है। केंद्र सरकार केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग की सिफारिश पर गन्ने का एफआरपी बढ़ाती है। केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि, एफआरपी बढ़ाते समय उसी अनुपात में चीनी के एमएसपी में भी बढ़ोतरी करना जरूरी है। हालांकि, केंद्र सरकार एफआरपी तय करते समय एमएसपी की अनदेखी करती है। परिणामस्वरूप, ‘विस्मा’ ने दावा किया है कि चीनी मिलें भारी वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं।

‘विस्मा’ ने कहा है कि, पिछले छह वर्षों से एफआरपी में हर साल बढ़ोतरी की जा रही है, लेकिन चीनी का एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले छह वर्षों में एक बार भी नहीं बढ़ाया गया है। जिस समय गन्ने का एफआरपी 2750 रुपये प्रति टन था, उस समय चीनी का एमएसपी 2900 रुपये प्रति क्विंटल था। उसके बाद एमएसपी केवल एक बार बढ़ाकर 3100 रुपये प्रति क्विंटल किया गया। 2019 के बाद से एमएसपी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। अभी भी चीनी की एमएसपी 3100 रुपये है और गन्ने की एफआरपी अब 3550 रुपये हो गई है। इसलिए चीनी मिलों को हर साल इस एफआरपी के हिसाब से गन्ना मूल्य चुकाने के लिए बड़ी रकम उधार लेनी पड़ती है। परिणामस्वरूप, चीनी मिलों पर कर्ज का पहाड़ हर साल बढ़ता जा रहा है और संचित घाटे की मात्रा में भारी वृद्धि हुई है।

‘विस्मा’ की ओर से केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि, कृषि मूल्य आयोग की सिफारिश के अनुसार एमएसपी में भी उतनी ही वृद्धि की जाए जितनी एफआरपी में की जाती है। पिछले छह वर्षों में एमएसपी वृद्धि और प्रति क्विंटल उत्पादन की वर्तमान लागत के अंतर को देखते हुए, आज चीनी का एमएसपी कम से कम 4200 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। इसके अलावा, वर्तमान में गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल का उत्पादन होने के कारण, लगभग हर चीनी मिल में गन्ने की खपत का 25% हिस्सा एथेनॉल उत्पादन की ओर स्थानांतरित हो गया है। इसलिए, एथेनॉल की कीमत को एफआरपी मूल्य में वृद्धि से जोड़ना आवश्यक है। इसके लिए गन्ने के रस से बने एथेनॉल की कीमत, जो वर्तमान में 60 रुपये प्रति लीटर है, कम से कम 70 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए। तभी चीनी मिलों के लिए प्रति लीटर एथेनॉल की उत्पादन लागत पूरी हो सकेगी। ‘विस्मा’ के अध्यक्ष बी.बी. ठोंबरे ने ‘चीनी मंडी’ से बात करते हुए कहा कि, केंद्र सरकार से हमारी विनती है की, चीनी उद्योग को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए चीनी का एमएसपी 4200 रुपये प्रति क्विंटल।

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