राष्ट्रीय शर्करा संस्थान का विभिन्न प्रकार के बेकरी उत्पाद और कन्फ़ेक्शनरी उत्पादों पर फोकस

लखनऊ: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर द्वारा लिक्विड और पाउडर गुड़ की मदद से विभिन्न प्रकार के बेकरी उत्पाद और कन्फ़ेक्शनरी उत्पादों को तैयार किया गया है। गुड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है, अतः पारंपरिक रूप से इसे चीनी से ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। इसके इन गुणों को देखते हुये राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर ने चीनी उद्योग के लिए स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिकता से भरपूर कई उत्पाद विकसित किए हैं; जिनमे चॉकलेट, ब्राउनी, केक, गुड़ के पॉपकॉर्न और जैम/जेली आदि शामिल हैं। संस्थान के शर्करा प्रौद्योगिकी विभाग ने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विगत दो वर्षों से प्रयास किया है और अब जा कर इन उत्पादों के लिए मानक प्रक्रिया विकसित की जा सकी है।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक, प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि गुड़ आधारित इस प्रकार के उत्पादों को उनकी गुणवत्ता, उपभोग अवधि तथा स्वाद के लिए उन्नत रूप से विकसित किया जाना अत्यंत चुनौतीपूर्ण माना जाता है; लेकिन संस्थान ने इन चुनौतियों को ध्यान मे रखते हुये प्रथम चरण मे उच्च गुणवत्ता के लिक्विड और पाउडर गुड़ को विकसित किया जिसे सीधा इन उत्पादों मे उपयोग किया जा सकता है। उन्होने यह भी कहा कि संस्थान का लक्ष्य शर्करा उद्योग को एक ऐसे प्रगतिशील उद्योग मे परिवर्तित करना है जिसमे खाद्य-प्रसंस्करण इकाई भी सम्बद्ध हो और ऐसे उत्पादों को शर्करा उद्योग मे भी उत्पादित किया जा सके।

इन उत्पादों की मांग और प्रोजेक्ट की लागत को ध्यान मे रखते हुये संस्थान, ग्रामीण विकास मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के साथ मिलकर इन उत्पादों की इकाइयों को चीनी कारखानों के इर्द-गिर्द और गन्ना उत्पादन क्षेत्र के नजदीक स्थापित किए जाने का प्रयास करेगा। इस संबंध मे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा इस तकनीक की मदद से लघु और मध्यम उद्योग इकाइयों को स्थापित करने मे विशेष रुचि दिखाई गयी है। उत्तर प्रदेश, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और ओड़ीसा की क्षेत्रीय इकाइयों के द्वारा संस्थान के द्वारा विकसित इन तकनीकों को क्षेत्रीय स्तर पर लागू करने के लिए संस्थान से नियमित संपर्क किया गया है। इस विषय पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, आगरा के चार सदस्यीय टीम का दौरा संस्थान मे आज किया गया, जिसका प्रतिनिधित्व सहायक निदेशक श्री दीनाकरण एस ने किया।

संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने कहा कि संस्थान के द्वारा इनके अतिरिक्त ऐसी कई अन्य प्रौद्योगिकियाँ विकसित की जा रही है, जिनका किसान विकास केंद्र और स्वयंसेवी संस्थाओं के बीच व्यापक प्रचार आवश्यक है, जिससे इन तकनीकों को अपनाकर उद्योग विकसित किए जा सकें।

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