मुंबई, तीन दिसंबर (भाषा) राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने सोमवार को इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया कि सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में ‘विश्लेषण’ करने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नीचे आने के बाद इस तरह की रिपोर्टें हैं कि सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर एक बार फिर उत्पाद शुल्क बढ़ा सकती है।
पिछले कुछ महीनों के दौरान पेट्रोल, डीजल के दाम में लगातार वृद्धि के बाद सरकार ने जनता के बढ़ते दबाव के आगे झुकते हुये अक्तूबर में उत्पाद शुल्क में डेढ रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी थी। इसके साथ ही तेल मार्केटिंग कंपनियों से भी प्रति लीटर एक रुपये की कटौती करने को कहा। इसके साथ ही भाजपा शासित ज्यादातर राज्यों ने भी इतनी ही कटौती की।
कच्चे तेल के दाम में बहरहाल, गिरावट का रुख है और उस समय की तेजी के बाद से इनमें 30 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आ चुकी है और भाव 60 डालर प्रति बैरल के नीचे आ चुका है। ऊंचे दाम से आई इस गिरावट के बाद पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में समीक्षा की जरूरत लगती है। हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि खुदरा दाम अभी भी चार रुपये से अधिक नीचे आ सकते हैं।
पांडे से जब संवाददाताओं ने इस संबंध में सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल इस समय मैं कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। इस तरह के मामलों में विश्लेषण की जरूरत होती है। ऐसे में कुछ भी कहना उपयुक्त नहीं है।’’
पिछले सप्ताह मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि उत्पाद शुल्क में प्रत्येक एक रुपये की कटौती से सरकारी खजाने पर 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। ऐसे में कच्चे तेल के दाम में आई गिरावट को देखते हुये सरकार उत्पाद शुल्क दरों को पुराने स्तर पर ले जा सकती है।
सरकार का राजकोषीय घाटा पहले ही पूरे साल के लिये अनुमानित लक्ष्य का 103.9 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। ऐसे में कई विश्लेषकों ने कहा है कि राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत से ऊपर जा सकता है। रिपोर्टों में कहा गया है कि केन्द्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों में एक से दो रुपये प्रति लीटर वृद्धि के बारे में विचार कर रही है।