अंतिम चरण में नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति

मुंबई / कोल्हापुर: देश के चीनी उद्योग के साथ सहकारिता क्षेत्र को नई दिशा देने वाली नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति अपने अंतिम चरण में है। नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का मसौदा तैयार करने के लिए आखिरी बैठक शनिवार (26 अगस्त, 2023) को मुंबई में हुई। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में हुई बैठक में महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री दिलीप वलसे पाटिल, केंद्रीय रजिस्ट्रार विजयकुमार, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे और अन्य सदस्य शामिल हुए।

समिति में देश के 47 प्रतिष्ठित विशेषज्ञ शामिल…
देश की नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति बनाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2022 को एक राष्ट्रीय स्तरीय समिति का गठन किया गया है। समिति में सहकारी समितियों के क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ-साथ राष्ट्रीय/राज्य/जिला/प्राथमिक स्तर पर सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (सहकारिता) के साथ-साथ सहकारी समितियों (आरसीएस) के रजिस्ट्रार, केंद्रीय अधिकारी शामिल हैं। मंत्रालयों/विभागों को यह नीति तैयार करनी होगी। नीति का मसौदा 47 सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।

‘सहकारिता से समृद्धि’ की अवधारणा को साकार करने का संकल्प…
नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति के निर्माण से ‘सहकारिता से समृद्धि’ की अवधारणा को साकार करने, सहकारी आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देने, देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इस संबंध में पहले हितधारकों से परामर्श किया गया था और नई नीति तैयार करने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय सहकारी संघों, संस्थानों और आम जनता से सुझाव मांगे गए थे। यह राष्ट्रीय स्तर की समिति नई नीति का मसौदा तैयार करने के लिए सभी एकत्रित फीडबैक, नीतिगत सुझावों और सिफारिशों का विश्लेषण करेगी।

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने की पहल…
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद देश के पहले सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता नीति बनाने की पहल की। अब राष्ट्रीय सहयोग नीति भी तैयार हो चुकी है। इस नीति की प्रारूप समिति के अध्यक्ष सुरेश प्रभु के अनुसार राष्ट्रीय सहकारिता नीति का देश की जीडीपी पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।देश को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय सहकारिता नीति कारगर साबित होगी।

देश में सहकारी सदस्यों की संख्या लगभग 29 करोड़…
वर्तमान राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2002 में बनाई गई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियाँ हैं। जिसके सदस्यों की संख्या करीब 29 करोड़ है।ये सहकारी समितियाँ कृषि प्रसंस्करण उद्योग, डेयरी उद्योग, गृह निर्माण, ऋण, विपणन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है।

नई सहकारी नीति से विकास को मिलेगा बढ़ावा: प्रकाश नाइकनवरे
नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे के अनुसार, नई सहकारिता नीति देश में सहकारी आंदोलन के विकास में योगदान देगी। यह नीति सहकारिता क्षेत्र की मजबूती के लिए भी महत्वपूर्ण होगी। नाइकनवरे ने यह भी बताया कि, यह नीति देश के विकास और किसानों और आम लोगों की प्रगति के लिए उपयोगी होगी।

 

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