हैदराबाद: आठ दशक पुरानी निज़ाम चीनी मिल का भविष्य खतरें में नजर आ रहा है। इस मिल को निज़ाम डेक्कन शुगर्स लिमिटेड (NDSL / एनडीएसएल ) के नाम से भी जाना जाता है। एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल 2015 में बंद हो गई है और अब इसका पुनरुद्धार बहुत मुश्किल लग रहा है। सातवें निज़ाम ने चीनी के आयात पर पैसे बचाने के लिए 1937 में मिल शुरू की थी। कई श्रमिकों को मिल बंद होने के कारण गंभीर वित्तीय कठिनाई हो रही है, क्योंकि उन्हें पाँच साल से उनका वेतन नहीं मिला था। ‘एनडीएसएल’ के कर्मचारी और कामगार यूनियन के महासचिव एस कुमारा स्वामी ने कहा, राजनेता अपने हितों के लिए हमारी दुर्दशा का उपयोग करते हैं। बोधन गन्ना उत्पादक संघ के महासचिव जी गोपाल रेड्डी का कहना है कि, एनडीएसएल का पुनरुद्धार सभी दलों के लिए केवल एक राजनीतिक नारा बन गया है।