बिक्री संकट: घरेलू बाजार में चीनी की मांग बिल्कुल ठप…

नई दिल्ली: कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर ने पुरे देश को और देश के हर सेक्टर को प्रभावित किया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कोरोना को रोकने की हर मुमकिन कोशिशों के बावजूद महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है। इसके चलते देश के कई राज्यों ने लॉकडाउन शुरू किया है, जिसके हर राज्य में अलग-अलग मानदंड है। हालांकि एफएंडबी सेक्टर ने पिछले साल महामारी से उत्पन्न अनिश्चितताओं के चलते विभिन्न तरीकों से नेविगेट करना सीखा, जैसे कि वितरण के लिए ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म को बढ़ावा और उत्पाद पोर्टफोलियो को फिर से संगठित करना, ऐसी कई सारे तरीके अपनाये गए, लेकिन फिर भी बाजार के खिलाड़ी अभी भी कोरोना के पहले लहर की चोट से उभर नहीं पायें हैं।

चीनी उद्योग जो एफएमसीजी क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाता है; अब चल रही गर्मी का मौसम और प्रमुख इस्लामी त्योहार रमजान के बीच मांग ‘ठप’ होने से काफी बड़ी आर्थिक कठिनाईयों से गुजर रहा है। होटल, रेस्टोरेंट, कैटरर्स आदि के बंद होने से मिठाई, पेय पदार्थों की खपत खत्म हो गई है। साथ ही किसी भी समारोह में शामिल होने वाले व्यक्तियों की संख्या में कटौती से भी हालात और बिगड़ गये है। आपको बता दे की, देश में चीनी का उत्पादन पिछले वर्ष की 27.4 मिलियन टन की तुलना में लगभग 10.2% अधिक होने की उम्मीद है। परिणामस्वरूप देश भर में चीनी मिलों के लिए वित्तीय तनाव और बढ़ता गन्ना बकाया आने वाले दिनों काफी दिक्कते पैदा करने की संभावना है।

‘चीनीमंडी न्यूज’ के साथ बातचीत में, मिठाई, नमकीन, इंस्टेंट मिक्स, पल्प, जूस लोकप्रिय नाम, जो 75 से अधिक वर्षों से मान्यता प्राप्त ब्रांड के रूप में खड़ा है, उस चितले ग्रुप के चौथी पीढ़ी के उद्यमी इंद्रनील चितले ने देश और राज्य में अभी चल रही स्थिति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा की, वास्तव में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में मिठाइयों की खपत में गिरावट आई है। दूसरी लहर ने मध्यम वर्ग को प्रभावित किया है। इसके अलावा सभी उद्यमियों के लिए स्टोर टाइमिंग पर प्रतिदिन केवल चार घंटे मिलते है, जो उन्हें उत्पादों को वितरित करने के लिए सीमित करते है। ऐसी परिस्थितियों ने उद्यमियों, किरानों (छोटे किराना स्टोर) से लेकर ब्रांडेड स्टोर और सुपरमार्केट तक, पूरे चैनलों में बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज की है। कोरोना महामारी के कारण लगे प्रतिबन्ध के चलते बिक्री में लगभग 40% की गिरावट आई है।

एक प्रमुख FMCG निर्माता (जो अपनी पहचान का खुलासा नहीं करना चाहते) ने कहा की, दूसरी लहर ने उस समय मांग में कमी ला दी है, जब सेक्टर ने पिछले साल के बढ़ते घाटे से मामूली सुधार शुरू किया था। मिठाई, केक और मिठाइयों की मांग में तेज गिरावट आई है।

राजाराम चीनी मिल के मानद विशेषज्ञ सलाहकार पी.जी.मेढे ने कहा की, कुछ हफ़्ते से चीनी की कोई मांग नहीं है, मिलों के गोदामों में चीनी अधिशेष चीनी का अंबार लगा पहुंचा है। महाराष्ट्र के मिलर्स ने उत्तर और पूर्व भारत में अपने पारंपरिक बाजार को फिर से हासिल करने के लिए परिवहन सब्सिडी के लिए सरकार से अनुरोध किया। हालांकि, इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। उत्तर और पूर्व भारत में बाजार फ़िलहाल उत्तर प्रदेश के मिलरों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। जिसके चलते महाराष्ट्र की मिलों को घरेलू बाजारों में चीनी बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

इसके अलावा, शक्ति शुगर्स के अध्यक्ष एम मानिकम ने कहा की, होटल, रेस्तरां और मॉल बंद रहने के साथ चीनी की मांग में कमी देखी गई है। ऐसे व्यवसायों के लिए यह स्थिति कठिन और चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, सभी को उम्मीद है कि यह साल पिछले साल से बेहतर होगा, हालांकि कोरोना की दूसरी लहर ने चीनी खपत के मामले में बाजार को बांध रखा है, और चीनी मांग दबाव में रह सकती है।

चीनी की घरेलू कीमतों में राष्ट्रव्यापी गिरावट आई है। मई, 14, 2021 को राज्यवार चीनी मूल्य कुछ इस प्रकार हैं…महाराष्ट्र: S/30 चीनी का व्यापार 3110 रुपये से 3140 रुपये प्रति कुंतल रहा और M/30 का व्यापार 3210 रुपये प्रति कुंतल रहा.

दक्षिण कर्नाटक: S/30 चीनी का व्यापार 3200 से 3250 और M/30 का व्यापार 3300 रूपये रहा.

उत्तर प्रदेश: M/30 चीनी का व्यापार 3330 रुपये रहा.

गुजरात: न्यू S/30 चीनी का व्यापार 3101 से 3111 रूपये रहा जबकि M/30 का व्यापार 3160 से 3180 रुपये प्रति कुंतल रहा.

तमिलनाडु: S/30 चीनी का व्यापार 3250 रुपये से 3325 रुपये रहा और M/30 चीनी का व्यापार 3325 से 3375 रूपये रहा.
(उपरोक्त सभी दरें जीएसटी को छोड़कर है)

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