पाकिस्तान में चीनी की कोई कमी नहीं: Pakistan Sugar Mills Association

लाहौर : पाकिस्तान शुगर मिल्स एसोसिएशन (पीएसएमए) के प्रवक्ता के अनुसार, देश में 1.2 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का पर्याप्त सरप्लस स्टॉक उपलब्ध है। चीनी उद्योग पिछले एक साल से लगातार सरकार से गुहार लगा रहा है कि सरप्लस चीनी का निर्यात किया जाए ताकि इसे बैंकों से जारी किया जा सके और नई कार्यशील पूंजी बैंकों द्वारा उपलब्ध कराई जा सके। सरकार ने प्रत्येक चीनी मिल में स्थापित एफबीआर के ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के माध्यम से चीनी के मौजूदा स्टॉक का सत्यापन भी किया है। इसके अलावा, अन्य सरकारी विभागों ने भी चीनी के पर्याप्त स्टॉक की पुष्टि की है, लेकिन यह मुद्दा पिछले एक साल से लटका हुआ है।

प्रवक्ता ने कहा कि, 2017-18 में भी ऐसी ही स्थिति का सामना चीनी उद्योग को करना पड़ा था और इसका खामियाजा किसानों और उद्योग जगत को भुगतना पड़ा था। उन्होंने कहा कि, अगर सरकार गन्ने के समर्थन मूल्य में 35 प्रतिशत की वृद्धि करती है तो चीनी के मूल्य में 35 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी, जो 115 रुपये प्रति किलोग्राम होगी। चीनी का अधिशेष स्टॉक जनवरी 2023 तक उपलब्ध है और सरकार को इस मामले पर जल्द से जल्द विचार करना चाहिए।

प्रवक्ता ने कहा कि, पाकिस्तान आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार देश में आठ मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ थ, जिसे ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के माध्यम से सत्यापित भी किया गया था। इसके अलावा, 2022-23 के दौरान पाकिस्तान में चीनी की औसत खपत 68 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है। यह अगले पेराई सत्र की शुरुआत से पहले उपलब्ध अधिशेष चीनी स्टॉक 1.2MMT से भी कम है। अगर इस सरप्लस स्टॉक का निर्यात नहीं किया गया तो इससे चीनी उद्योग के लिए संकट जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत ने छह मिलियन टन चीनी का निर्यात किया है और विदेशी मुद्रा बचाने के लिए शेष चीनी को एथेनॉल में परिवर्तित कर दिया है। अन्य चीनी उत्पादक देश भी अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के बाद अपनी चीनी का निर्यात कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान में मुक्त व्यापार को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है। यदि सरकार इस अधिशेष चीनी के निर्यात की समय पर अनुमति नहीं देती है तो यह सीधे उत्पादकों के भुगतान और पेराई सत्र की समय पर शुरुआत को प्रभावित करेगा।

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