नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs) ने अपनी मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है की, अल नीनो की व्यापकता के बावजूद सामान्य मानसून का पूर्वानुमान, बीज और उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता और प्रमुख जलाशयों में पर्याप्त पानी भारत में स्वस्थ खरीफ बुआई के लिए अच्छा संकेत है।
भारत में तीन फसल ऋतुएँ होती हैं, जिसमे ग्रीष्म, ख़रीफ़ और रबी शामिल है। जून-जुलाई के दौरान बोई गई और अक्टूबर-नवंबर में काटी गई फसलें ख़रीफ़ हैं। जो फसलें अक्टूबर-नवंबर के दौरान बोई जाती हैं और परिपक्वता के आधार पर जनवरी-मार्च में काटी जाती हैं, उन्हें रबी कहा जाता है। रबी के बाद लेकिन ख़रीफ़ से पहले पैदा होने वाली फ़सलें ग्रीष्मकालीन फ़सलें होती है।
इस बीच किसानों ने अपनी खरीफ फसलों की बुआई शुरू कर दी है। धान, मूंग, बाजरा, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन और कपास कुछ प्रमुख खरीफ फसलें है। वित्त मंत्रालय ने तर्क दिया कि, बढ़ती ग्रामीण मजदूरी (कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों) के साथ खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि ने भारत में ग्रामीण मांग को बढ़ावा दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) की बिक्री में साल-दर-साल (YoY) वृद्धि 2022-23 की चौथी तिमाही में सकारात्मक हो गई, जो ग्रामीण मांग में तेजी का संकेत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि से कृषि आय में वृद्धि, वित्त की आसान उपलब्धता और अनुकूल मानसून से उत्साहित होकर, घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री 2022-23 में अब तक के उच्चतम स्तर पर दर्ज की गई। रबी और खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि, गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) मजदूरी दर में वृद्धि से वित्तीय सुरक्षा में सुधार की उम्मीद है। ग्रामीण परिवार आगे बढ़ेंगे और ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा।
इस बीच, मई में जारी 2022-23 के अनंतिम जीडीपी अनुमान के अनुसार समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था आम सहमति अनुमान से अधिक थी।
इसके अलावा, हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अंतिम अनुमानों के अनुसार, 2022-23 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7.2 प्रतिशत रही, जो पहले अनुमानित 7 प्रतिशत से अधिक है। आगे चलकर 2022-23 जीडीपी संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
2023-24 के लिए, केंद्र सरकार लगभग 6.5 प्रतिशत की वृद्धि देख रही है।वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है की, भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, यह अब केवल एक सांख्यिकीय तथ्य नहीं है। इसमें यह भी कहा गया है कि, भारत की अर्थव्यवस्था के लिए जो चीज स्पष्ट रूप से काम कर रही है, वह इसकी घरेलू मांग की ताकत है।