NSI ने एथेनॉल उत्पादन के लिए मोलासेस की गुणवत्ता बनाए रखने पर किया संशोधन

कानपुर : एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2023, 2024 एवं 2025 तक पेट्रोल में 12 प्रतिशत, 15 प्रतिशत एवं 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। 2025 तक 20% सम्मिश्रण के लिए, रासायनिक उद्योग और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, देश को लगभग 13,500 मिलियन लीटर एथेनॉल की आवश्यकता होगी, जिसमें से लगभग 7000 मिलियन लीटर चीनी उद्योग के फीड स्टॉक से उत्पादित करने का लक्ष्य है। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट(NSI) ने एथेनॉल उत्पादन के लिए संग्रहित मोलासेस की गुणवत्ता बनाएं रखने पर यशस्वी संशोधन किया, इससे देश की सभी चीनी मिलों को एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने में मदद होगी।

एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए, चीनी उद्योग एथेनॉल के उत्पादन के लिए मध्यवर्ती मोलासेस, बी हैवी मोलासेस का उपयोग कर रहा है। चूंकि चीनी मिलें केवल 5-6 महीने ही चलती हैं और एथेनॉल इकाइयों को पूरे वर्ष संचालित किया जाता है, इसलिए ऐसे मोलासेस को संग्रहित करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, भंडारण के बाद समय बीतने के साथ एथेनॉल उत्पादन के लिए जरुरी मोलासेस की गुणवत्ता कम हो जाती है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, NSI के असिस्टेंट प्रोफेसर अशोक गर्ग ने कहा कि, मोलासेस की गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए संस्थान द्वारा चीनी प्रौद्योगिकी प्रभाग में सुज़लकेम टेक्नोलॉजीज, हैदराबाद द्वारा विशेष रूप से विकसित नैनो-बायोसाइड, एंजाइमेटिक नाइट्रोजन स्रोत, डिस्पर्सेंट और ऑक्सीजन स्केवेंजर का उपयोग करके अध्ययन किया गया था। उन्होंने कहा, हमने विभिन्न क्षेत्रों से शीरे के नमूने इकठ्ठा किये थे और चीनी मिलों की तरह उनपर प्रक्रिया की थी। इसके के लिए वाटर जैकेटस और सर्कुलेशन सिस्टम वाले स्टील टैंक तैयार किए गए थे।

एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने कहा, नौ महीने के भंडारण के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इस तरह के सूत्रीकरण का उपयोग करके मोलासेस की चीनी के नुकसान को कम करने में प्रभावी है और इस प्रकार उच्च एथेनॉल उत्पादन संभव है। हमने चीनी उद्योग के साथ बड़े पैमाने पर काम किया, ताकि भंडारण पर चीनी के नुकसान को कम करने के लिए टैंकों में मोलासेस के पुनर्चक्रण, उचित ठंड और मोलासेस में उच्च ठोस सामग्री रखने जैसे उपायों का सुझाव दिया जा सके।

उन्होंने कहा, इन उपायों के साथ और रसायनों के इस तरह के मिश्रण को लागू करने से, यदि केवल 3% उपज में वृद्धि होती है, तो इससे लगभग 200 मिलियन लीटर तक की अतिरिक्त एथेनॉल मात्रा प्राप्त होगी और प्रति वर्ष 1,200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय उत्पन्न होगी।

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