खेतों में खड़ी रहेगी किसानों की एक तिहाई गन्ना फसल…

 

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गोरखपुर, 09 मार्च , उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारें गन्ना किसानों के हित में लगातार कदम उठा रही हैं। बावजूद इसके किसानों को राहत नहीं मिल रही है। औसत उपज से कम गन्ना पड़ताल (सर्वे) ने किसानों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। पड़ताल में भारी अनियमितता को किसानों की दुश्वारियां बढ़ाने में अहम भूमिका माना जा रहा है। सर्वे से तकरीबन 30 प्रतिशत अधिक औसत उपज होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस वजह से खेतों में एक तिहाई फसल खड़ी रहने की आशंका बनी है।

सरकार, गन्ना विभाग और वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से हुए शोधों और प्रयासों ने गन्ना खेती को उत्कर्ष पर ला खड़ा किया है। प्रदेश की औसत उपज 72.38 से बढ़कर 79.19 टन प्रति हेक्टेयर पहुंच गई है। 06.82 टन प्रति हेक्टेयर की इस वृद्धि ने सरकार को खुश कर दिया है, लेकिन किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। वजह, किसानों के खेतों की औसत उपज बढ़ाने वाले सरकारी मुलाजिमों ने उत्पादन के हिसाब से पड़ताल करना मुनासिब नहीं समझा है। पड़ताल पुराने ढर्रे पर 62.5 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से हुई है। यह किसानों को प्राप्त होने वाली औसत उपज 73.5 टन प्रति हेक्टेयर से काफी कम है। आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि वर्ष 2018-19 में 1150 लाख टन गन्ना पेराई और 124.75 लाख टन चीनी उत्पादन की मंशा रखने वाली सरकार के पास किसानों के खेतों में खड़ी तकरीबन एक तिहाई फसल तौल कराने का कोई ठोस विकल्प नहीं है।

अपर गन्ना आयुक्त वीके शुक्ल का कहना है कि इस समय प्रदेश का गन्ना रकबा 27.94 लाख हेक्टेयर है। इसकी पड़ताल खेत-खेत जाकर नापाई कर होती है। 117 मिलें चल रही हैं। निगम की दो चीनी मिलें गोरखपुर की पिपराइच और बस्ती की मुंडेरवा चलने जा रही हैं। किसी भी गन्ना किसान की फसल खेतों में खड़ी नहीं रहेगी।किसान हैं आहतकुशीनगर के किसान चंद्रभान सिंह, नरेंद्र सिंह, वीके मिश्र, पीके मिश्र आदि का कहना है कि पड़ताल में लापरवाही हुई है।औसत उपज के मुताबिक पड़ताल न होने से पर्चियों का वितरण भी कम ही होगा। सामान्य पेड़ी भी खेतों में खड़ी है। दुश्वारियां बढ़नी तय है।

क्या कहती है गन्ना समितिइधर,

गन्ना समिति कठकुईयां के सूत्रों का कहना है कि वर्तमान औसत उपज के हिसाब से पड़ताल का मानक काफी कम है। यह पुराने ढर्रे पर किया गया है। चीनी मिलों द्वारा क्षमता भर पेराई करने के बाद भी गन्ना खेतों में खड़ा रह सकता है। वजह 10 कुंतल प्रति कट्ठा के हिसाब से हुआ है, जबकि अनुमानित औसत उपज 13 कुंतल प्रति कट्ठा यानी 80 टन प्रति हेक्टेयर होने की है।वर्ष 2017-18 में गोरखपुर-बस्ती-आजमगढ़ मंडल की औसत उपजगोरखपुर-650 कुंतल प्रति हेक्टेयर, महराजगंज-658 कुंतल प्रति हेक्टेयर, देवरिया-646 कुंतल प्रति हेक्टेयर, कुशीनगर-735 कुंतल प्रति हेक्टेयर, बस्ती-660 कुंतल प्रति हेक्टेयर, गोंडा-700 कुंतल प्रति हेक्टेयर, आजमगढ़-609 कुंतल प्रति हेक्टेयर।

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SOURCEChiniMandi

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