सूखे का संकट : महाराष्ट्र में केवल 7.7 प्रतिशत पानी बचा है…

मुंबई: चीनी मंडी

महाराष्ट्र पर मानसून की जगह ‘सूखे संकट’ के बादल मंडरा रहें है, मराठवाड़ा के शुष्क क्षेत्र में बांध का जल स्तर काफ़ी तेजी से घट रहा है और अब मात्र 0.7% बचा है। सूखे की स्थिति के बीच, पुरे महाराष्ट्र में बांधों में पानी के भंडारण का स्तर सिर्फ 7.7% है, जो एक दशक में सबसे कम है। पिछले साल इस तारीख को, राज्य के बांधों में जल स्तर 18% था जबकि मराठवाड़ा में यह 14% था। राज्य के 32 बांधों में से कई में अब केवल मृत भंडारण स्तर बचा हैं।

सूखा राज्य के 42% हिस्से को प्रभावित कर रहा है और पिछले पांच वर्षों में यह तीसरी आपदा है। इसने राज्य के 60% किसानों को प्रभावित किया है। राज्य में पिछले साल सामान्य बारिश का केवल 76% प्राप्त हुआ था। मराठवाड़ा इलाका पानी के संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित है, उत्तर महाराष्ट्र में बांध का जलस्तर 6.4%, पश्चिमी महाराष्ट्र में 7.8%, विदर्भ के नागपुर संभाग में 6.2% और अमरावती प्रमंडल में 7% है।

सरकार का कहना है कि, राज्य में मानसून की शुरुआत तक पर्याप्त पानी और चारा है। राज्य में जल्द ही मानसून आने की संभावना है। पूर्वानुमान है कि, और मानसून सामान्य रहेगा। राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया की, सरकार ने जून के अंत तक पर्याप्त प्रावधान किया है। सरकारने सूखे बेल्ट में 10.6 लाख पशुओं को 1,583 चारा शिविरों की अनुमति दी है। राज्य भर में, 6,443 पानी के टैंकर तैनात किए गए हैं। इनमें से 3,359 मराठवाड़ा में पानी पहुंचा रहे हैं। मराठवाड़ा में औरंगाबाद जिले में 1,146 टैंकर हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि, राज्य को मराठवाड़ा जैसे ऐतिहासिक रूप से शुष्क क्षेत्र में गन्ने की खेती पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। यह बेल्ट गन्ने की खेती के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त है, लेकिन राज्य इसे प्रतिबंधित करने से इनकार करता है। विडम्बना यह है की, सूखे के बावजूद बोतलबंद पानी का कारोबार फलफूल रहा है।

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