पर्ची न मिलने से खेत में ही सूख रहा किसानों का गन्ना

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पहले आलू किसानों की दुर्दशा हुई और अब गन्ना किसानों की हालत खराब है। जिले में बुआई का अभी तक लगभग 60 प्रतिशत ही गन्ना किसानों ने चीनी मिल को आपूर्ति किया है। 40 प्रतिशत गन्ने की फसल अभी खेतों में खड़ी सूख रही है। यह हालत तब है जब मौजूदा पेराई सत्र समाप्त होने की कगार पर है। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो इस बार 20 हजार 446 हेक्टेयर गन्ने की खेती की गई है, जिसमें 11649 हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने गन्ने का पौधा रोपा था और 8797 हेक्टेयर भूमि पर पेड़ी लगाई थी।
मौजूदा समय में जिले की इकलौती अकबरपुर चीनी मिल मिझौड़ा ने बीते 12 मार्च तक किसानों का सिर्फ 7 लाख 87 हजार कुंतल गन्ने की खरीद की है। शेष गन्ना किसानों का अभी खेतों में या तो खड़ा है या फिर जिन किसानों ने अगली फसल के इरादे से गन्ने की फसल कटवा दिया है उनका गन्ने की बिक्री की पर्ची न मिल पाने के कारण खेतों में ही सूख रहा है। किसानों का कहना है कि मिल उन्हें पर्ची नहीं दे रही है, जिसके कारण उन्हें काफी परेशान हो रही है। आगे शादी विवाह का समय है और और गेहूं फसल की मड़ाई का मौसम आ रहा है, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। गन्ना पर्ची न मिलने से नाराज किसानों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है। इसका नतीजा है कि मौजूदा बीजेपी विधायक को भी किसानों ने खरी-खोटी सुनाना शुरू कर दिया है।
दलालों का पर्ची बना रहे हैं मिल कर्मचारी
जलालपुर। किसानों ने मिल प्रशासन पर दलालों का गन्ना खरीदने का आरोप लगाया है। मिल अधिकारियों के बीच हुई बैठक में किसानों ने मिल कर्मचारियों की ओर से पर्ची निकासी और पर्ची अलाटमेंट में किए गए।
हेराफेरी के कई उदाहरण पेश किए, लेकिन मिल अधिकारियों ने किसानों की शिकायतों को नजरंदाज कर दिया। बैठक में शामिल हुए किसानों का कहना है कि जिसका बेसिक कोटा 1500 कुंतल का है, उसे मिल पर्ची ही नहीं दे रहा है और इस वजह से उसका गन्ना नहीं बिक रहा है। दूसरी तरफ फर्जी पर्ची के सहारे मिल प्रशासन अपने चहेतों को लाभ पहुंचा रहा है। एक किसान ने मिल प्रशासन पर आरोप लगाया है कि जिसका बेसिक कोटा 588 कुंतल का है उसको 1500 कुंतल की पर्ची दी जा रही है, जबकि मिल की वेबसाइट पर इसके बढ़ोत्तरी शून्य है। बावजूद इसके 588 कुंतल वाले किसान को 900 कुंतल की अतिरिक्त पर्ची कहां से जारी हो रही है। इसका जवाब मिल अधिकारियों ने नहीं दिया। एक अधेड़ किसान ने भी मिल प्रशासन पर किसानों के दोहन का आरोप लगाया। किसान का कहना है कि यदि गन्ना किसानों की यही स्थिति रही तो जैसे पश्चिम के जिलों में किसानों ने अपनी उपज को बेचने के लिए आंदोलन किया था वैसे यहां भी होगा, जिसको कोई रोक नहीं पाएगा।
पर्ची न मिलने से खेतों में खड़ी गन्ने की फसल हो रही बर्बाद
महरुआ। भीटी विकास खंड के कई ग्राम पंचायतों में किसानों का समय से पर्ची न आने से सैकड़ों बीघा गन्ना खेतों में खड़ी है। क्षेत्र में पर्ची न आने से किसान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसान मिल प्रबंधन को इसका जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
किसानों ने बताया कि मिझौड़ा मिल प्रबंधन की ओर से अभी बाहर का गन्ना पेरा जा रहा था जिससे किसानों की पर्ची नहीं आ पाई। रिजक्ट व अर्ली प्रजाति के पौधा गन्ना की भी पर्ची न आने के कारण किसान परेशान दिख रहे हैं। एक तरफ गर्मी का सीजन और गेहूं की कटाई का समय आ गया है तो दूसरी ओर मजदूरों के न मिलने का भी भय सता रहा है। कई बार किसान मिलों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं। फिर भी पर्ची न आने के कारण किसान काफी परेशान हैं। किसान रमेश, रक्षाराम, सुभाष चंद्र, कांशीराम, शिवव्रत, रमाकांत पांडेय, लक्ष्मीकांत, ताराकांत, शिवमूर्ति, रामफेर, फूलचंद्र, लल्लू मिश्र व अन्य ने बताया कि काफी गन्ना खेतों में खड़ा है। पर्ची न आने से काफी परेशानी हो रही है।
गन्ना किसानों के सामने आर्थिक संकट
भीटी हिन्दुस्तान संवाद
गन्ना बेचने के लिए मिझौड़ा चीनी मिल की ओर से पर्ची न पाने से सैकड़ों हेक्टेयर गन्ना सूखने के कगार पर पहुंच गया है। गन्ना के लगातार सूखने के कारण किसानों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
मिझौड़ा चीनी मिल की ओर से गेट पर गन्ना बेचने के लिए पंजीकृत किसानों का शोषण लगातार जारी है। मिल ने एक तरफ कांटों तथा दूरदराज के लोगों को पर्ची जारी करके उनका गन्ना खरीद जा रहा है। वहीं मिल गेट पर गन्ना बेचने के लिए पंजीकृत किसानों को अभी तक ब्रिकी पर्चियां जारी नहीं की जा रही है। यदि कुछ दबंगों को छोड़ दिया जाए तो क्षेत्र के किसानों का शोषण करने में गन्ना मिल प्रबंधन कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। नौबत यहां तक आ पहुंची कि गन्ना किसान औने पौने दामों में अपना गन्ना क्रेशरों पर बेचने के लिए मजबूर हैं। जिला प्रशासन के साथ ही जनपद के सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष व विभिन्न राजनीतिक दलों के नेतागण के अतिरिक्त ब्लाक में प्रमुख पदों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। जनप्रतिनिधि भी किसानों के समक्ष उत्पन्न संकट से मुंह मोड़ लिए हैं। उन्हें भी खून के आंसू रोते इन गन्ना किसानों की फ्रिक नहीं है। परिणाम यह हो रहा है कि मिल प्रबंधन मनमानी करने पर आमदा है।
नहीं उठता मिल अधिकारियों का फोन
भीटी। जैसे गन्ना प्रबंधक, गन्ना महाप्रबंधक मिल प्रबंधक व अन्य मिल अधिकारियों का फोन नहीं उठता है। भले ही मिल मालिकिन की ओर से उन्हें सीयूजी नम्बर दिया गया है लेकिन किसानों के फोन को उठाने की जहमत ही नहीं उठाते हैं। जब इस समस्या के लिए गन्ना महाप्रबंधक व गन्ना प्रबंधक को फोन करके जानकारी और पक्ष लेने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन उसके बाद भी फोन रिसीव नहीं किया गया और पुन: काल बैक भी नहीं आया।
पर्ची उपलब्ध कराने की मांग
भीटी। अढ़नपुर के किसान हीरालाल, सियाराम, चन्दापुर के किसान संतोष तिवारी, कृष्ण मुरारी, जगदीश, उमेश बृजेश, पांडेय बहरी गांव के किसान राजेन्द्र कुमार, वीरेन्द्र कुमार, वंशराज, हरिश्चंद्र, कल्लू, कांशीराम व अन्य किसान को एक भी पर्ची जारी नहीं की गई है। स्थानीय लोगों ने जन प्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन से मांग किया है कि गन्ना प्रबंधन से क्षेत्रीय लोगों को तत्काल पर्ची उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दें ताकि किसानों का गन्ना समय से बिक सके।

SOURCELive Hindustan.com

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