गन्ने के अवशेष से बायोगैस बनाने के लिए हरियाणा में बनेगा सयंत्र

करनाल/दिल्ली, 22 अक्टूबर: कृषि फसलों के अवशेष जलाने की खबरें देश में पर्यावरण प्रेमियों के लिए चिन्ता का विषय बनी हुई है। राजधानी दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा में धान और गन्ने के अलावा गेंहू की पुआल को जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। एनजीटी के रुख और पर्यावरण को हो रहे नुकसान की भरपाई करने के साथ किसानों को पराली के विकल्प देने के लिए सरकार ने अब नई पहल की है। प्रदेश के करनाल में जिले में धान के ड़ंठल, गन्ने के अवशेष और गेंहू की भूषी से बायोगैस बनाने के लिए सयंत्र लगाया जा रहा है।
यह संयत्र देश का पहला संयत्र होगा। इस संयत्र को लगवाने का काम दिल्ली स्थित इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड कर रही है। कम्पनी ने इस संयत्र को बनाने की जिम्मेदारी अजय बायो एनर्जी कम्पनी को सौंपी है, जो इसे 2022 तक बनाकर तैयार कर देगी। यहां से तैयार बायोगैस का उपयोग सीएनजी वाहनों में किया जाएगा। इसके अलावा यहां से तैयार बायोगैस को किसानों को भी दिया जाएगा। किसान इसे ट्रैक्टर, और जनरेटर चलाने में इस्तेमाल कर सकेंगे। हरियाणा में इस संयत्र के लगने के बाद गन्ना, धान, और गेंहू के अवशेष जलाने के बजाय किसान यहां लाना शुरु कर देंगे। इससे पर्यावरण प्रदूषण रोकने में जहां मदद मिलेगी वहीं किसानों को गन्ने और धान के अवशेषों से अतिरिक्त आमदनी भी होगी।

इन्द्रप्रस्थ गैस के एमडी ई एस रंनाथन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संयत्र का करनाल में भूमि पूजन कार्य हो चुका है। यहां पर फसलों के अवशेष को प्रसंस्कृत कर भंडारित किया जाएगा ताकि जब फसल कटाई बाद अवशेष नहीं रहे तब भी संयत्र पर काम चलता रहे। इस संत्रय की क्षमता तकरीबन 20 हजार एकड खेतों के फसल अवशेषों को बायोगैस में परिवर्तित करने की होगी। रंगनाथन ने कहा कि इस संयत्र से हर दिन तकरीबन 10 हजार किलो बायोगैस का उत्पादन होगा। संयत्र द्वारा हर दिन 40 हजार टन पराली खपत करने की होगी। बायोगैस से प्राप्त खराब फसल अवशेषों का भी सदुपयोग कर जैविक खाद तैयार की जाएगी। ये खाद किसानों को खेतों में उपयोग के लिए दी जाएगी। शुरुआत में इसे केवल करनाल में ही बेचा जाएगा उसके बाद इसके व्यावसायिक स्तर पर बाहर बेचने की योजना है।

बायो गैस संयत्र लगने पर राम मनोहर लोहिया अस्पताल नई दिल्ली में काम करने वाले करनाल निवासी डॉ. आरएस टोंक ने कहा कि सरकार की ये अच्छी पहल है। इस काम को अब तक पूरा कर देना चाहिए था लेकिन कोई बात नहीं देर आए दुरस्त आए। हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते है।
करनाल के किसान देवाराम ने कहा कि हमारे पास पराली का कोई विकल्प नहीं था इसलिए जलाया करते थे, लेकिन इस संयत्र के बनने का इंतजार है। संयत्र बनकर काम करने लगेगा तो हम लोग यहां पर ही फसल अवशेष लेकर आएंगे। इससे हमे भी आमदनी होगी। सोनीपत के गन्ना किसान रामरतन ने कहा कि हम लोगों के लिए भी ये एक अवसर है कि हमारे नजदीक के जिले में बायोगैस संयत्र लग रहा है। इसके लगने से हमें भी अपने फसल अवशेषों को यहां लाने से आर्थिक फायदा होगा।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने गन्ना और धान जैसी फसलों के अवशेषों से इथेनॉल तैयार करने वाली इंधन कम्पनियों प्रौत्साहन देने के लिए पहले से ही पहल कर रखी है । इसी कडी में अब बायोगैस संयत्र लगने से न केवल किसानों के फसल अवशेषों का सदुपयोग होगा बल्कि पराली से पर्यावरण को होने वाले प्रदूषण को रोकने में भी मदद मिलेगी।

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