जालंधर: पिछले हफ्ते कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने घोषणा की थी कि, राज्य सरकार फगवाड़ा की गोल्डन संधार मिल आगामी गन्ना पेराई सत्र में शुरू की जाएगी, बावजूद इसके मिल अभी भी बंद है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मिल पर करोड़ों रुपये की देनदारी है। मिल की वित्तीय स्थिति ऐसी है कि कोई भी अधिकारी इस झंझट में पड़कर इसे चालू नहीं करना चाहता। यहां तक कि निजी मिल मालिक भी अब पीछे हट गए हैं। दूसरी ओर, इस मिल से जुड़े 3,000 किसान 22,000 एकड़ में गन्ने की खेती कर रहे हैं और 70 लाख क्विंटल उपज की उम्मीद कर रहे हैं। वे इस बात पर अड़े हैं कि मिल को शुरू करना चाहिए। ये किसान नवांशहर, होशियारपुर, नकोदर, गोराया, फिल्लौर और फगवाड़ा क्षेत्र के है।
सरकार ने नवांशहर के किसानों को भोगपुर मिल में डाइवर्ट करने की योजना बनाई है, लेकिन किसानों ने दावा किया की अन्य मिल में माइग्रेट करना पूरी तरह से अव्यावहारिक है। टरबाइन ब्लास्ट के कारण भोगपुर मिल काम नहीं कर रही है। धूरी भुगतान विवाद का भी सामना कर रहा है। अन्य सभी मिलों को पहले से ही अपनी क्षमता से अधिक गन्ना मिल रहा है। यदि फगवाड़ा मिल चालू नहीं होती है, तो अन्य मिलों को अपना पेराई सीजन 10 अप्रैल के बजाय 10 जून तक बढ़ाना होगा, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। फगवाड़ा मिल से जुड़े किसानों का दावा है की, उन्हें केवल परिवहन पर कम से कम 4 करोड़ रुपये अधिक खर्च करने होंगे। किसानों ने कहा, हम सांकेतिक विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं लेकिन अभी भी कोई प्रगति नहीं दिख रही है। हम चाहते हैं कि मिल हर कीमत पर परिचालन फिर से शुरू करे।