पुणे: चीनी उद्योग ने चीनी से इथेनॉल उत्पादन की दिशा में कदम बढाया है, इस बीच किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने किसानों की आय से समझौता नहीं करने के लिए पारदर्शी प्रणाली की मांग की है। राजू शेट्टी ने चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ से किसानों से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की। चीनी आयुक्त के साथ बैठक के दौरान शेट्टी ने मिलों द्वारा किश्तों में उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के भुगतान का मामला भी उठाया। शेट्टी ने एकमुश्त भुगतान की मांग की।
इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कोल्हापुर जिले में मिलों को छोड़कर, अन्य सभी जिलों की मिलों ने किश्तों में मूल एफआरपी का भुगतान करना शुरू कर दिया है। गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले मिलों ने किसानों से एक फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाए थे, जिसमें अन्य विवरणों के साथ किश्तों में एफआरपी के भुगतान पर सहमति जताई थी।
शेट्टी ने आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से इथेनॉल बनाने वाली मिलों का तकनीकी ऑडिट कराने को कहा है। इथेनॉल, चीनी मिलों द्वारा या तो सीधे गन्ने के रस से या मोलासिस से उत्पादित किया जाता है। केंद्र सरकार ने इथेनॉल की ग्रेड-वाइज़ कीमत तय की है, जिसमें गन्ने के रस से सीधे उत्पादित इथेनॉल के लिए उच्चतम मूल्य और सी शीरे से उत्पादित इथेनॉल के लिए सबसे कम मूल्य है। चीनी मिलों के लिए, इथेनॉल का उत्पादन चीनी की तुलना में एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि उत्पाद के लिए उन्हें लगातार कीमत मिलती है। चीनी का उत्पादन कम करने और इसके बजाय इथेनॉल का विकल्प चुनने के लिए ग्रेड-वाइज़ मूल्य मिलों के लिए एक प्रोत्साहन है।
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