रेकोर्ड उत्पादन से गन्ना किसान कि स्थिति चिंताजनक

इस साल महाराष्ट्र में

​हुए चीनी का मौसम १०७ लाख टन रेकोर्ड उत्पादन हुआ. जहाँ इस अतिरिक्त उत्पादन से चीनी मिलोंके मालिक को की माली हालत खस्ता हो गयी है, वहीं बाजार में चीनी सस्ते दाम पर उपलब्ध होने से सामान्य ग्राहक खुश है.

देश के कुल उत्पादन ३२० लाख टन में से १/३ प्रतिशत चीनी का उत्पादन कर महाराष्ट्र देश में द्वितीय स्थान पर रहा. चीनी के गिरते दाम महाराष्ट्र के राजकीय क्षेत्र में हड़कंप मच गया है. राज्य के पश्चिम महाराष्ट्र, विदर्भ और मराठवाडा क्षेत्र के १३८ मतदार क्षेत्रों में गन्ना किसानों का प्राबल्य है. हर को-ऑपरेटिव चीनी मिलों गन्ना किसान का शेअर होने के कारण, सस्ते चीनी का झटका किसानों को भी महसूस हो रहा है. ३० अप्रैल तक २२००० करोड़ रूपया एफआरपी बकाया बाकी है. कुल ११८ चीनी मिलों में से कुल ५७ मिलों ने पूरा एफआरपी अदा किया है. किसानों कि बकाया राशि अदा करने केलिए चीनी मिलनों चीनी का निर्यात करने के लिये अनुमति मांगी है. प्रस्तुत समय मै चीनी मिलोंको २०% चीनी निर्यात करने कि अनुमति है.चीनी कि निर्यात पर पाबंदी लगाकर चीनी आयात करने से गन्ना किसानों को ३० हजार करोड़ रुपयों कि हानी होने वाली है. बाजार में सस्ते हुवे चीनी के दाम से हम किसानों की राशी कैसे अदा करे,ऐसा सवाल इन्दापुर सहकारी चीनी मिल के अध्यक्ष श्री हर्षवर्धन पाटील ने उपस्थित किया.

सुकुमा एक्सपोर्ट के पाकिस्तान से चीनी आयात करने के विरोध मे ११ मे को सभी चीनी मिले संघटित होकर विरोध जताया. केंद्र सरकार गन्ना किसानों कि चिंता नहीं है ऐसा आरोप राधाकृष्ण विखे पाटील ने लगाया. ईसका जवाब देते हुवे केंद्र सरकारने पाकिस्तान से चीनी आयात करने पर कोईभी पाबंदी नहीं है ऐसा स्पष्टीकरण दिया. इससे आनेवाले मौसम में चीनी मिले कार्यरत होना मुश्किल लग रहा है. राज्य मे १०.७ लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ने की बुआई हुई है. हम सिर्फ कच्ची चीनी का उत्पादन करेंगे, जिससे चीनी कि कमी निराम्मान होगी और चीनी के दाम बढ़ सकते है, ऐसा एक सूत्रों ने बताया. राज्य के सहकार मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा, चीनी उद्योग पर मंडरा रहा यह संकट सिर्फ प्रस्तुत समय के लिए है इस पर हल निकालने के लिए केंद्र से निर्यात की अनुमति देने की याचना कि गयी है.

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