बिजनौर: पिछले साल ‘लाल सड़न’ (Red rot/रेड रॉट) के कारण भारी नुकसान के बाद, तराई क्षेत्र में इस बीमारी के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादक फिर से चिंतित हैं। उत्तर प्रदेश गन्ना विभाग ने पिछले सीजन की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए जिलों में बैठकें आयोजित करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि, इस बीमारी ने पिछले साल फसल को नुकसान पहुंचाया था। लाल सड़न फंगस कोलेटोट्राइकम फॉल्केटम के कारण होती है। यह फंगस मुख्य रूप से गन्ने की ‘0238’ किस्म को संक्रमित करता है, और विभाग ने किसानों को इसे अन्य किस्मों से बदलने की सलाह दी है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, बैठकों में शामिल रहे सोहरा के वरिष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक वीरेंद्र नाथ सहाय ने कहा, यूपी के गन्ना आयुक्त ने सभी गन्ना अधिकारियों को अलर्ट पर रखा है। हम किसानों को बीमारी के बारे में अधिक जागरूक करने के लिए बैठकें कर रहे हैं। चालू सीजन में कई किसानों ने ‘0238’ किस्म की जगह नई किस्म लगाई है। लेकिन, कुछ किसान अभी भी पुरानी किस्म की खेती कर रहे हैं और हम चाहते हैं कि वे अगले साल इसे बदल दें। हमने इस साल नई किस्में उपलब्ध कराई हैं। सहाय ने कहा की हम गन्ना उत्पादकों से अपील कर रहे हैं कि वे संक्रमित पौधों को उखाड़ दें, उन्हें जला दें और उस पर ब्लीचिंग पाउडर डालें, इससे बीमारी को रोकने में मदद मिलेगी।
गन्ने की फसल के “कैंसर” के रूप में जाना जाने वाला लाल सड़न रोग, जो आमतौर पर बरसात के मौसम में फैलता है, यूपी के प्रमुख गन्ना खेती वाले क्षेत्रों में दिखाई देने लगा है, जिससे किसानों में काफी दहशत है। अधिकारियों के अनुसार, यह रोग तब होता है जब एक विशेष किस्म को लंबे समय तक बोया जाता है और उसमें बदलाव नहीं किया जाता है। यह रोग तब भी बढ़ता और फैलता है जब किसान बीज और मिट्टी का उचित उपचार नहीं करते हैं।