नई दिल्ली: चीनी उद्योग के दिग्गजों के अनुसार, कोरोना महामारी के कारण मांग में कमी के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में भारतीय 2020-22 की अवधि में लगभग 5 प्रतिशत कम चीनी का उपभोग करेंगे। इसका मतलब है की इस दौरान लगभग 2.6 मिलियन टन चीनी खपत कम जाएगी। उद्योग के दिग्गजों ने खपत में गिरावट के लिए शादियों, पार्टियों आदि जैसे बड़े समारोहों पर प्रतिबंध को जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा, देश के अधिकांश हिस्सों में लगातार दो गर्मियों के मौसम में लॉकडाउन ने चीनी की बिक्री पर बड़ा असर डाला है, क्योंकि आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। औद्योगिक चीनी की मांग देश में कुल खपत का 60 प्रतिशत हिस्सा है।
इकनोमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, श्री रेणुका शुगर्स के अध्यक्ष रवि गुप्ता ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर असोसिएशन द्वारा आयोजित एक वेबिनार में बोलते हुए कहा की, 2020-21 में 26.63 मिलियन टन की अपेक्षित खपत के मुकाबले, वास्तविक डिमांड 1.2 मिलियन टन कम होकर 25.4 मिलियन टन रही। 2021-22 में, 27.16 मिलियन टन की अपेक्षित मांग के मुकाबले, वास्तविक मांग 1.4 मिलियन टन कम होकर 25.8 मिलियन टन होने की संभावना है। इस प्रकार, 2020-21 और 2021-22 के दौरान चीनी खपत में संचयी गिरावट 2.6 मिलियन टन होने की उम्मीद है, जो कि 53.79 मिलियन टन की संचयी अपेक्षित बिक्री के मुकाबले 4.83 प्रतिशत कम है।