कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली गन्ने की किस्म की हो रही है खोज

नई दिल्ली: 2 अगस्त, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में बारिश के असमान वितरण और कम होते पानी की समस्या को देखते हुए कम पानी में उगने वाली फसलों की खेती पर जोर दे रहे है। कम पानी में फसल उत्पादन से जुड़ी संभावनाओ के बीच केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत में कुल भूमि की 14.2 करोड़ कृषि योग्य भूमि पर खेती होती है। इसमें 70 से 80 फीसदी जल संसाधनों का उपयोग कृषि कार्यों में होता है। कृषि क्षेत्र में जल संसाधनों के उपयोग को लेकर जल शक्ति मंत्री ने कहा कि गन्ना और धान जैसी फसलों में पानी सर्वाधिक लगता है। इसी चिन्ता को दूर करने के लिए सरकार कृषि क्षेत्र में जल उपयोग दक्षता में सुधार के लिये नई नीति तैयार करने पर जोर दे रही है। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि कृषि वैज्ञानकों को कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली गन्ने की किस्मे तैयार करने की जरूरत है ताकि गन्ने की खेती यथावत होती रहे, चीनी उत्पादन पर भी कोई विपरीत असर न पड़े और देश में जल संसाधनों का भी सदुपयोग हो।

जल शक्ति मंत्री के इस वक्तव्य पर गन्ना वैज्ञानिकों का पक्ष जानने के लिए हमारे प्रतिनिधि ने कोयमबटूर स्थित गन्ना प्रजनन संस्थान के निदेशक डॉ. बक्शी राम से बात की तो उनका कहना है कि गन्ना शोध संस्थान अब गन्ने की ऐसी किस्मे तैयार करने पर शोध कर रहे है जो कम पानी में अधिक उत्पादन दे और उनमें गन्ने के रस के साथ शुगर की मात्रा भी अपने ऊच्च स्तर पर रहे। डॉ. बक्शी राम ने कहा कि गन्ने की कई ऐसी किस्में है जो कम पानी में अधिक उत्पादन दे रही है। उनसे तैयार गन्ने के रस से चीनी भी अधिक मिल रही है। बक्शी ने कहा कि गन्ना की 0118 एवं को. 0238 का 70 प्रतिशत पंजाब में, हरियाणा में 50 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश राज्य में 23 लाख हैक्टेयर लगभग 52 प्रतिशत, उत्तराखंड में 17 एवं बिहार राज्य में 24 प्रतिशत क्षेत्र में उगाया जा रहा है। इन किस्मों के उगाने से हरियाणा की चीनी परता में 1.2 प्रतिशत, पंजाब में 0.65 प्रतिशत एवं उत्तरप्रदेश में 1.43 प्रतिशत चीनी परता बढ़ी है। को. 0238 किस्म ने पूरे देश में उपज और चीनी परता के नए आयाम स्थापित किए है। यही नहीं पिछले दो सालों के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य में चीनी परता दोहरे अंकों में 10.61 प्रतिशत रही है तथा लगभग दो दर्जन चीनी मिलों की परता 11 प्रतिशत से अधिक रही है। बक्शी राम ने कहा कि इन उन्नतशील किस्मों के उपयोग से चीनी का न केवल परता बढ़ा है बल्कि गन्ने से चीनी उत्पादन में भी इजाफा होने के किसानों और चीनी मिलों की आमदनी में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

कम पानी में गन्ने की खेती कर अधिक चीनी उत्पादन लेने के मसले पर बोलते हुए मज्जफरनगर के गन्ना किसान रमणी लाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि गन्ने के बजाय मक्का जैसी फसलों की खेती करें लेकिन हम तो अपने खेतो में गन्ने की खेती भी कम पानी में करके अच्छा उत्पादन ले रहे है। हम अपने खेतों में स्प्रिंकलर और ड्रिप सिचाई को तरजीह दे रहे है। इससे पानी की भी कम खपत हो रही है और गन्ना का उतपादन भी बढ़ा है। रमणी लाल ने कहा कि हमारे खेत से तैयार गन्ना का हमें बाजार भाव भी अन्य से ज्यादा मिलता है और गन्ने में रस की मात्रा भी अपेक्षाकृत अन्य खेत के ईख से ज्यादा होती है। इसकी वजह है गन्ने की संतुलित एवं जैविक खेती जिसे अपनाकर हमने गन्ना उत्पादन और आमदनी दोनों बढाने में सफलता हासिल की है।

गौरतलब है कि पानी की कमी को देखते हुए भारत 2050 तक जल संकट से निपटने के मामले में विश्व के प्रमुख देशों में अग्रणी भूमिका में रहेगा इसके लिए अभी से खेती में सिमित पानी में अधिक उत्पादन लेने की तकनीकों पर काम कर भूमि की उत्पादकता से सिंचाई जल उत्पादकता की तरफ जाने की राष्ट्रीय प्राथमिकता पर काम किया जा रहा है।

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