चीनी व्यापार युद्ध: भारत के खिलाफ दुनिया के बाकी उत्पादक देश एकसाथ खड़े…

नई दिल्ली: चीनी मंडी

वैश्विक बाजार में अतिरिक्त आपूर्ति के कारण चीनी की कीमतें 11 महीने में सबसे निचले स्तर पर पहुँच चुकी हैं। इस स्थिती के लिए दुनिया के चीनी उत्पादक देशों द्वारा भारत को ‘व्हिलेन’ ठहराने की कोशिश की जा रही है। प्रतिद्वंद्वी देशों ने भारत के खिलाफ चीनी युद्ध छेड़ दी है। प्रत्येक बीतते दिन के साथ, कोई ना कोई नया देश विश्व व्यापार संगठन (WTO) में यह दावा करने के पहुँच जाता है कि भारतीय चीनी सब्सिडी उनके देश के चीनी उद्योग को बाधित कर रहा है। फरवरी 2019 में, ग्वाटेमाला और अन्य देशों ने, भारत के चीनी सब्सिडी के खिलाफ WTO का दरवाजा खटखटाया था। इन देशो ने आरोप लगाया की भारत के चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के असंगत हैं और चीनी बाजार को विकृत कर रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (ISO) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि, नवंबर में भारत के दौरे के लिए जा रहे ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के एजेंडे में भारत द्वारा चीनी उद्योग की सब्सिडी बढ़ोतरी का मुद्दा भी शामिल है।

मियामी में रविवार से शुरू होने वाले एस एंड पी ग्लोबल प्लैट्स के छठे वार्षिक सम्मेलन में भी व्यापारियों और निवेशकों के बीच चीनी सब्सिडी विवाद मुद्दे पर चर्चा होगी। न्यूयॉर्क में पैरागॉन ग्लोबल मार्केट्स के प्रबंध निदेशक माइकल मैकडोगल ने कहा, चीनी की कीमतें दो साल से लगातार कमजोर हो रही है, जो सामान्य रूप से किसी के लिए भी अच्छा नहीं है, यह बाजार के लिए बहुत चिंता की बात है।आंशिक रूप से मुद्रा की अस्थिरता के कारण, ग्वाटेमाला और अल सल्वाडोर जैसे छोटे उत्पादक देश प्रभावित होंगे।

गन्ना आधारित इथेनॉल की ओर एक वैश्विक बदलाव और उभरते बाजारों में बढ़ती मांग से गन्ना किसानों को बढ़ी राहत मिल सकती है। भारत, ब्राजील और संभवतः चीन जैव ईंधन के लिए गन्ने के रस का अधिक उपयोग कर रहे है। निकजेन कैपिटल मैनेजमेंट में मैनेजिंग पार्टनर निक जेंटाइल ने कहा की इथेनॉल चीनी बाजार के लिए मददगार साबित हो सकती है। जेंटाइल ने कहा, “बीजिंग और वाशिंगटन के बीच एक व्यापार सौदा एक रैली को बढ़ावा दे सकता है।

भारतीय चीनी उद्योग पिछले दो से तीन वर्षों से विभिन्न बाधाओं से जूझ रहा है, और इस क्षेत्र को संकट से बाहर लाने के लिए सरकार ने सॉफ्ट लोन योजना, न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी, निर्यात शुल्क में कटौती, आयात शुल्क में 100 प्रतिशत वृद्धि जैसे विभिन्न उपाय उठाये हैं। रिकॉर्ड चीनी उत्पादन के बाद, चीनी क्षेत्र अतिरिक्त चीनी के दबाव से त्रस्त है; इसलिए, उद्योग का मानना था कि निर्यात की सख्त आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने 2019-20 में 60 लाख टन चीनी के निर्यात को सब्सिडी देने के लिए पिछले महीने 6,268 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन को मंजूरी दी है। जिससे चीनी अधिशेष को कम करने में मदद मिलेगी।

हालही में ब्राजील के चीनी उद्योग समूह UNICA ने आरोप लगाया था कि चीनी निर्यात सब्सिडी घोषणा से वैश्विक चीनी कीमतों में बाधा आएगी। UNICA ने कहा था की, “भारत सरकार द्वारा घोषित नई चीनी निर्यात सब्सिडी सही नहीं हैं और यह कम वैश्विक चीनी कीमतों पर और असर डालेगी। यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार भी नहीं है।” भारत सरकार ने कहा है की निर्यात सब्सिडी WTO के संगत के अनुसार है।

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