मुंबई: आर्थिक संकट से घिरे चीनी मिलोंको राहत देते हुए केंद्र सरकार रु. ५५ की सहाय्यता राशी सब्सिडी के रूप में चीनी मिलोंके माध्यम से गन्ना किसानोंको दे रही है. इसी तरह राज्य सरकार से चीनी मिलोंके प्रतिटन रु. ५५ की सहाय्यता राशि सब्सिडी के रूप में देने की माँग राज्य के चीनी मिलों के शिखर संस्था द्वारा की गयी है. इसके साथ ही चीनी मिलों के दिये गए ॠण पर वसूल की जानेवाली ब्याज को रोकने की गुजारिश इस संस्था द्वारा की गयी है. इस संदर्भ में सप्ताह के शुरू में हुए सभा में चीनी मिलों की समस्याओं के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गयी.
शीघ्र ही जीएसटी कमिटी की सभा होने जा रही है. इस सभामें व्हॅट और अन्य टैक्स समाप्त कर चीनी मिलोंको टैक्स में राहत देने की माँग की गयी है. चीनी मीलों की समस्याओंके बारे में चर्चा करने केलिए मुख्मंत्री देवेन्द्र फडणविसजी के नेतृत्व में राज्य का एक आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी से मिलने जा रहा है. चीनी मिलोंकी माली हालत सुधारने केलिए चीनी मीलों को दिये गए ॠण का पुनर्गठन अब समय कि जरूरत बन गयी है. इसलिए चीनी मिलों के प्रमुख सरकार से ॠण कि वसूली पर रोक लगाने कि माँग कर रहे है. चीनी निर्यात
के लिए सब्सिडी के रप में दी जानेवाली सहाय्यता राशि, नाबार्ड, रिझर्व बैंक आदी संस्थाओं के माध्यम से चीनी मिलों की समस्याओं का समाधान होना आवश्यक है.
जो चीनी मिले कमसे कम ७०% एफआरपी अदा कराती है, उन पर रेव्हेंयु रिकव्हरी सर्टिफिकेट केलिए कानूनी कारवाई नहीं होनी चाहिए.इस बिच केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरीजीने चीनी मीलों को संकट से बाहर निकालने केलिए हर संभव मदत करने का आश्वासन देते हुए, चीनी मीलों को इथेनोल उत्पादन पर अधिक ध्यान देने का आवाहन किया. वही राज्य के ग्राम विकास मंत्री पंकजा मुंडेजी ने चीनी उत्पादन के हर मौसमें चीनी मीलों को लायसन्स प्राप्त करने केलिए जिन कठिनाईयों का सामना करता पड़ता है, उनसे चीनी मिलों को राहत देने की बात प्रमुखता से उपस्थित किया. महाराष्ट्र राज्य चीनी मिलोंके महासंघ के अध्यक्ष दिलीप वळसे – पाटीलजी ने इस सभा में अपना मत प्रदर्शित करते हुए कहा की, चीनी का न्यूनतम दाम सुनिश्चित करने से चीनी मीलों की अनेक समस्याओं को हल किया जा सकता है.