नई दिल्ली : नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (NFCSF) ने सोमवार को सरकार से बिक्री के लिए आवंटित चीनी कोटा बिक्री की अवधि बढ़ाने और अगले महीने के लिए सीमित कोटा घोषित करने का अनुरोध किया। NFCSF ने कहा कि, Covid -19 महामारी के कारण चीनी बिक्री प्रभावित हुई है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ का दावा है कि, सहकारी चीनी मिलों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित चीनी को 31 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचना मुश्किल हो रहा है और इस तरह इसने मिलों के आर्थिक चक्र को प्रभावित किया है। मिलें आवंटित कोटा के पचास फीसदी भी चीनी नहीं बेच पाई हैं।
‘एनएफसीएसएफ’ ने एक जारी बयान में कहा, सरकार देश भर की मिलों के उत्पादन आंकड़ों के आधार पर हर महीने चीनी बिक्री कोटा तय करती है, ताकि सभी छोटी और बड़ी मिलें चीनी बेच सकें। हालांकि, पिछले छह महीनों में जारी किए गए कोटा की समीक्षा के अनुसार सहकारी चीनी मिलों का कोटा लगभग 50 प्रतिशत तक अनसोल्ड रह गया है और प्राप्त किए गए कोटा का केवल आधा बेचा गया है। सहकारी चीनी मिलों को 31 रुपये प्रति किलो दर पर चीनी बेचना मुश्किल हो रहा है। इस सब के परिणामस्वरूप सहकारी चीनी मिलें वित्तीय तनाव में हैं, जिसके कारण किसानों के गन्ने का बिल, कर्मचारियों का वेतन रुक गया है। केंद्र सरकार ने अप्रैल में 22 लाख टन के चीनी कोटे की घोषणा की। इस महीने का अप्रैल कोटा पिछले पांच वर्षों में घोषित 18 लाख टन के औसत से 4 लाख टन अधिक है।
एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर के अनुसार, जबकि पिछले साल मार्च में लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण चीनी की खपत प्रभावित हुई थी और सभी कन्फेक्शनरी, शीतल पेय, चॉकलेट, बिस्कुट और मिठाइयों के कारोबार को बंद कर दिया और चीनी की बिक्री लगभग 1 मिलियन टन कम हुई थी। एनएफसीएसएफ ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के ध्यान में लाया और कोटा चीनी की बिक्री की अवधि बढ़ाने और अगले महीने के लिए सीमित चीनी कोटा घोषित करने का अनुरोध किया है।