कुछ मिलें किसानों से ‘ब्याज माफी’ फॉर्म पर हस्ताक्षर करवा रही है: मीडिया रिपोर्ट

पुणे : एफआरपी भुगतान में विलंब के बाद मिलों को देर से भुगतान पर किसानों को 15 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना पड़ता है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इससे बचने के लिए कुछ चीनी मिलें किसानों से घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करवा रही हैं, जिसमें किसान बिना शर्त ब्याज के भुगतान के अपने दावों को छोड़ रहे हैं। 2014-15 सीज़न के लिए एफआरपी के देर से भुगतान के कारण औरंगाबाद उच्च न्यायालय में ब्याज के भुगतान की मांग करने वाली कई याचिकाएं दायर की गई थीं।

Indianexpress.com में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नांदेड़ से शिवसेना के किसान नेता प्रहलाद इंगोले ने इस संबंध में नांदेड़ संभाग में 49 मिलों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था। हालांकि, कई अदालती आदेशों के बावजूद ब्याज घटक और भुगतान की गणना का कार्य अमल में नहीं आया है। इस बीच, चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने मिलों को व्यक्तिगत किसानों के भुगतान विवरण जमा करने और देर से भुगतान पर 15 प्रतिशत की दर से ब्याज का हिसाब करने का आदेश दिया था। गायकवाड़ के आदेश का मिलों ने इस दलील के तहत विरोध किया था कि इस तरह का हिसाब थकाऊ और समय लेने वाली होगी। आयुक्त ने तब हिसाब करने के लिए एक विशेष लेखा परीक्षक नियुक्त किया था। हालांकि, नांदेड़ क्षेत्र में मिलों ने पहले ही किसानों से ब्याज माफी घोषणा फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाना शुरू कर दिया है। फॉर्म में कहा गया है कि किसान मिल के वित्तीय स्वास्थ्य और भलाई के लिए देर से भुगतान पर ब्याज पर अपने दावों को स्वेच्छा से त्याग रहे है। इंगोले ने किसानों से इस तरह की किसी भी घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here