भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों में गन्ने की खेती और चीनी उद्योग के चुनौतियों से निपटने के लिए शोध कार्य कर रहा है श्रीलंका का गन्ना अनुसंधान संस्थान

कोलम्बो, 29 फरवरी: श्रीलंका में कृषि और कृषि आधारित उद्योगों में गन्ना और चीनी उद्योग देश में अर्थव्यवस्था के साथ रोजगार प्रदान कराने वाला अग्रणी सेक्टर है। जिसको और आगे बढ़ाने के लिए उच्च पूंजी निवेश की आवश्यकता है। इसलिए, देश में चीनी क्षेत्र के विकास में सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों ही महत्वपूर्ण भूमिका रहे है। श्रीलंका में चीनी और इथेनॉल की बढती मांग के कारण इस क्षेत्र में निवेश करने वालों की काफी मांग है। देश में गन्ना और चीनी उद्योग को बढावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है श्रीलंका का गन्ना अनुसंधान संस्थान। यह संस्थान 29 अप्रैल 1983 में स्थापित हुआ था जो एक संवैधानिक निकाय है जिसे संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है। गन्ने की खेती और प्रसंस्करण पर अनुसंधान करने के लिए इसकी स्थापना की गयी थी।

संस्थान का प्रमुख अनुसंधान परिसर उदय वालवे में है, जो कोलंबो से लगभग 150 किमी दूर है, और रथमाला में एक कार्यालय है। इसके अलावा, संस्थान में हंटाना, कैंडी में एक संगरोध खेत, डेनियाया में एक तीरंदाजी स्टेशन और सियामंबालुवा में एक पैथोलॉजी फार्म है। संस्थान में लगभग 200 की कुल स्टाफ काम कर रहे है, और लगभग 40 वैज्ञानिक अनुसंधान में सीधे तौर पर शामिल हैं जो बदलते दौर के हिसाब के देखते गन्ना और चीनी उद्योग के विकास के लिए काम कर रहे है।

श्रीलंका गन्ना अनुसंधान संस्थान के चेयरमैन डॉ अरुणासूर्या ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह गन्ना अनुसंधान संस्थान श्रीलंका में चीनी क्षेत्र के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस संस्थान को बने 37 साल हुए है लेकिन ये भारत के कोयम्बटूर स्थित गन्ना प्रजनन संस्थान से शोध और अनुसंधान के मामले में किसी मामले में कम नहीं है।

लेकिन हमारे यहां के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध दक्षिण भारत किसानो को भी लाभकारी साबित हो रहा हैं। डॉ अरुणासूर्या ने कहा कि हम केवल अपने देश को ध्यान में रखकर शोध कार्य नहीं कर रहे है बल्कि सम्पूर्ण दक्षिण एशिया की चुनौतियों को ध्यान रख कर शोध कार्य कर रहे है। डॉ अरुणासूर्या ने कहा कि समय समय पर हमारी भारत के गन्ना वैज्ञानिकों के साथ कॉन्फ्रेंस होती रहती है जिसमें हम भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों के सामने गन्ने की खेती और चीनी के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रख कर किये जा रहे शोध कार्यो के बारे में सदस्य देशों को अवगत करवाते रहते है, ताकि जलवायु परिवर्तन और अन्य कारणों से गन्ना और चीनी उद्योग के समक्ष आने वाली चुनौतियों से मिलकर निपटा जा सके।

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