गन्ना सर्वेक्षण कार्य को तत्काल पूर्ण करने के कड़े निर्देश

प्रमुख सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग, उ.प्र. की अध्यक्षता में विभागीय अधिकारियों के साथ एक दिवसीय विस्तृत व गहन मासिक समीक्षा बैठक २० जुलाई को लाल बहादुर शास्त्री, गन्ना किसान संस्थान, उ.प्र. लखनऊ के सभागार में सम्पन्न हुई । बैठक में गन्ना की अद्यतन स्थिति की जानकारी, गन्ना मूल्य भुगतान, गन्ना समितियों के क्रिया—कलापों, प्रचार—प्रसार, लेखा एवं प्रशासनिक प्रकरणों से सम्बन्धित बिन्दुओं पर समीक्षा करते हुए गन्ना सर्वेक्षण कार्यो को तत्काल पूर्ण करने तथा फर्जी सट्‌टों को तत्काल निरस्त करने के कड़े निदर्श दिये गये। प्रमुख सचिव, श्री भूसरेड्‌डी ने समीक्षा के दौरान सभी नोडल अधिकारियों को भी अपने आवंटित परिक्षेत्रों में भ्रमण कर कतिपय स्थानों पर गन्ना कृषकों के समक्ष आ रही समस्याओं के निराकरण के निदर्श देते हुए कहा कि सर्वे कार्य की शुद्धता एवं पारदर्शिता हेतु प्रभावी कदम उठाये जाने की आवश्यकता है जिसके तहत सर्वे कार्य के दौरान नये सदस्यों का शत्‌प्रतिशत सत्यापन तथा कृषकों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले घोषणा—पत्र, खसरा—खतौनी एवं अन्य अभिलेखों की जांच में कड़ाई बरती जाए।

बैठक में आगामी गन्ना पेराई सत्र के सफल एवं शीघ्र संचालन के तहत चीनी मिलों की ऑफ सीजन रिपेयर एवं मेन्टीनेन्स कार्य यथा रोलर, बायलर, क्वार्ड, केन कैरियर, टर्बाइन, के निरीक्षण तथा गत वर्षों में हुए ब्रेक डाउन से बचाव आदि के सम्बन्ध में भी विस्तृत निर्देश दिये गये जिससे पेराई कार्य प्रभावित न हो। बैठक में अधिकारियों की सुविधा हेतु गन्ना सर्वे एनालिसिस सॉफ्टवेयर एवं ई —नाम/ ई—रकम से सम्बन्धित तकनीकी प्रस्तुतिकरण भी दिया गया।

आयुक्त, गन्ना एवं चीनी श्री मनीष चौहान द्वारा कतिपय क्षेत्रों में आ रही तकनीकी समस्याओं के दृष्टिगत बताया गया कि गन्ना सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण होने की तरफ अग्रसर है तथा कुछ किसानों द्वारा अवगत कराया गया है कि राजस्व विभाग से खतौनी मिलने में कठिनाइया आ रही है, एसी स्थिति में कृषकों से अनुरोध है कि वे अपने नजदीकी जनसेवा केन्द्रों से या इन्टरनेट से अपनी खतौनी की प्रति निकलवाकर उसे स्वः प्रमाणित कर सर्वेकर्मी के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। कृषक को खतौनी में अपने हिस्से को राजस्व कर्मियों से प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं होगी, अपितु उसके द्वारा घोषणा—पत्र में दर्ज किये गये हिस्से को ही वैद्य प्रमाण माना जायेगा। सवर्क्षण के समय अपने गन्ना क्षेत्रफल के संबंध में किसान को निर्धारित प्रारूप पर घोषणा पत्र भरकर देना होगा। घोषणा पत्र नही भरने पर किसान का सट्‌टा संचालित नही होगा और गन्ना आपूर्ति की सुविधा भी अनुमन्य नहीं होगी।

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