भारत की चीनी सब्सिडी निति का वैश्विक स्तर पर कड़ा विरोध…

नई दिल्ली : चीनी मंडी 
दुनिया के सबसे बड़े चीनी निर्यात करने वाले देशों के चीनी उद्योगों ने अपनी सरकारों और विश्व व्यापार संगठन को भारत के चीनी निर्यात सब्सिडी निति के विरोध में कदम उठाने की गुहार लगाई है । भारत ने अपने बीमार घरेलू चीनी उद्योग को और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए  सब्सिडी दी है, उसका विश्व के चीनी उत्पादक देशोंद्वारा कड़ा विरोध हो रहा हैं। पिछले हफ्ते भारत ने चीनी उद्योग को सहायता देने के हेतु दूसरे राहत पॅकेज की घोषणा की , जो 5 लाख मेट्रिक टन निर्यातित चीनी को सब्सिडी दे सकती है।
आम चुनाव का निर्यात सब्सिडी पर प्रभाव…
केंद्र सरकार अगले साल होनेवाले आम चुनाव को देखते उए किसानों के हितों को नजरअंदाज नही कर सकते। चीनी की अधिशेष से परेशान चीनी उद्योग और बकाया भुगतान से कारण वित्तीय कठिनाई का सामना कर रहे  करोड़ो गन्ना किसानों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार चीनी की खपत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में नये अवसर तलाश रही है।    प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की संघीय कैबिनेट समिति ने मिलों के गन्ना भंडार को कम करने और किसानों की बकाया राशि भुगतान करने की योजना की घोषणा की।  इसके तहत  निर्यात के लिए चीनी मिलों को प्रोत्साहित करने के लिए बंदरगाह से 100 किलोमीटर से अधिक दूर मिलों  के लिए परिवहन सब्सिडी मुहैया की जाएगी ।
भारत की चीनी निर्यात निति से कीमतों पर दबाव?
इस साल की शुरुआत में वैश्विक बाजार भारत के निर्यात निति के कारण की  चीनी दरें $ 300 तक गिर गई , ऑस्ट्रेलिया में उत्पादन लागत से लगभग 30pc कम है और यह और भी गिर सकती है। ग्लोबल शुगर एलायंस क्वींसलैंड शुगर के अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर ग्रेग बीशेल ने चेतावनी दी है की,  अगर भारत सरकारद्वारा दी गई सब्सिडी रद्द नहीं होती है तो  दुनिया भर में “सख्त सामाजिक और आर्थिक परिणामों” का सामना कर पड़ सकता है । बेशेल ने कहा, “ग्लोबल शुगर एलायंस दुनिया भर में चीनी उत्पादक देशों की सरकारों को नुकसान को सीमित करने के लिए डब्ल्यूटीओ कार्रवाई  करने के लिए कहेगा। क्योंकि भारत सरकार द्वारा घोषित सब्सिडी ने विश्व चीनी बाजार  में कम कीमतों का कारण बना दिया।
ब्राजील, थाईलैंड भी भारत केसब्सिडी के  खिलाफ…
ब्राजील के चीनी उद्योग संघ यूएनआईसीए के कार्यकारी निदेशक एडुआर्डो लेओ डी सोसा ने दावा किया  कि,  भारत ने सब्सिडी के जरिये अपने उत्पादकों और अंतर्राष्ट्रीय चीनी उद्योग को गलत संकेत भेजा है। अधिशेषों से छुटकारा पाने के लिए निर्यात सहायक उपकरण एक आसान समाधान प्रतीत हो सकते हैं लेकिन वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए बेहद क्षति पहुंचाते  हैं और उसकी निंदा की जानी चाहिए। ब्राजील के उद्योग को इन उपायों को एक विकल्प के रूप में नहीं देखा जाता है और हम डब्ल्यूटीओ  में उन्हें चुनौती देने के लिए हमारी सरकार को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
भारत सरकारद्वारा किसानों की सहायता के लिए हर मुमकिन कोशिश जारी…
थाई शुगर मिलर्स कॉर्पोरेशन के चेयरमैन विबुल पानितवोंग ने, अपने देश को जिनेवा में डब्ल्यूटीओ में भारत की निर्यात सब्सिडी के खिलाफ  “तत्काल प्रश्न” उपस्थित कने को कहा है ।  हालांकि, भारत के घरेलू एजेंडे पर और भी अधिक दबाव के मुद्दे हैं। किसानों की खेती का  घटता आकार उनकी आय पर दबाव डालता है और बैंक ऋण चुकाने में भी  असफल हो रहे है। कर्ज के बोझ के कारण  किसान आत्महत्या दर बढ़ रही है।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के हालिया आंकड़ों में 2015 में 8000 से अधिक किसान आत्महत्या और 4595 कृषि मजदूरों की आत्महत्या दर्ज की गई। इसके चलते भारत सरकार किसानों के हितों को सामने रखकर हर मुमकिन कोशिश करा रहा है , जिसमे चीनी निर्यात सब्सिडी भी शामिल है ।

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