कोरोना की मार के बावजूद चीनी व्यापार को गति देने के लिए चीनी उद्योग है गंभीर

नई दिल्ली, 4 मई, 2020: चीनी उद्योग भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो ग्रामीण भारत में गन्ना किसानों के राजस्व और स्थानीय कामगारों के लिए रोजगार का बड़ा माध्यम है। वर्तमान हालातों में कोरोना की वैश्विक महामारी के कारण गन्ना उत्पादन और चीनी का निर्यात प्रभावित हुआ है। भारत जैसे बड़े गन्ना उत्पादक देश में भी चीनी के व्यापार और कारोबार पर कोरोना की मार का कितना असर दिखाई दे रहा है इस विषय बात करते हुए डीसीएम श्रीराम के प्रबंध निदेशक रोशन लाल टमक ने कहा कि हालात बेशक चिन्ताजनक है लेकिन कठिन भी नहीं है। चीनी उद्यमियों के सामने खुद को स्थापित रखने की कारोबारी चुनौती है लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए हम पूरी तैयारी के साथ काम कर रहे है। टमक ने बताया कि अभी गन्ना पैराई जारी है। बीते साल हमने 548 लाख क्विंटल गन्ना क्रस किया था इस साल 600 लाख क्विंटल गन्ना हम क्रस करने जा रहे है। 10 मई तक पैराई सत्र समाप्त होने पर स्थिति पूर्ण स्पष्ट हो जाएगी। इस साल हम बीते साल से अधिक चीनी उत्पाद टार्गेट लेकर चल रहे है। इस साल हमारा 66 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन का आंकलन है। पिछले सत्र में हमने 65.82 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया था।

जब उनसे चीनी निर्यात के बारे में बात की गयी तो उनका कहना था कि चीनी का निर्यात प्रभावित जरूर हुआ है लेकिन ऑर्डर मिल भी रहे है। आगे और भी मिलने वाले है। पिछले साल की तुलना में बाजार की रफ़्तार कम है लेकिन आने वाले दिनों में इसमें तेजी आएगी। वैश्विक बाजार की स्थिति को ध्यान में रख कर हम चल रहे है। फिलहाल भारत से चीनी का कुछ देशों में निर्यात हो भी रहा है और इंडोनेशिया एवं ईरान जैसे देशों में निर्यात का काम जारी है।

रोशन लाल टमक ने कहा कि यूपी में हमारी चार चीनी मिलें है। पिछले साल हमने 12 लाख टन चीनी का निर्यात किया था इस बार भी टार्गेट अच्छा लेकर चल रहें है। सकारात्मक सोच के साथ इस बार भी हमारे प्रयास जारी है उम्मीद है कि स्थितियाँ सामान्य होंगी और चीनी उद्योग को कोरोना के कारण हुए नुक़सान से उबारकर देश को आर्थिक तरक्की पर ले जाने का काम किया जाएगा।

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