चीनी पर जी.एस.टी. ५% से बढकर १२% अथवा रु.३/- प्रती कि.ग्रा. सेस लगने की संभावना.

वस्तु और सेवाकर यानी जीएसटी के अंतर्गत चिनी पर सेस लगाने के संदर्भ में विचार-विमर्श करने के लिए, गठित मंत्रिमंडल की समिति केंद्र सरकार को इस बारे में केंद्रीय करों या कृषी उत्पादनों पर सेस लागू करने का सुझाव देने की संभावना है. इससे सरकार को प्राप्त होनेवाली धनराशी का राज्य और केंद्र में बराबर बटवारा हो सकता है. देश की कृषि समस्याओं से निपटने के लिए ईस धनराशी का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा सिर्फ सेस लगाने परभी विचार-विमर्श हो रहा है. यह सुझाव जीएसटी काउंसिल को शीघ्र ही दिया जाएगा.

चिनी उद्योग, चिनी या उससे संबंधित किसी भी उत्पादन पर जीएसटी के अंतर्गत सेस लगाने का विरोध कर रही है. इस सुझाव से वर्तमानमें स्थित चिनी व्यापर का ढांचा पूरी तरह से खराब होने का डर चिनी उद्योग को सता रहा है. जीएसटी काउंसिल कि मई माह में संपन्न हुई सभा में, जीएसटी के अंतर्गत चिनी या कृषी उत्पादन पर सेस या अन्य कर लगाने पर विरोध किया गया. इसके चलते इस बारे में अंतिम निर्णय लेने के लिए मंत्रिमंडल कि एक समिति का गठन किया गया है. जीएसटी के अंतर्गत कृषी उत्पादन पर या अन्य कर लगाने पर दाम बढ़ने के आसार है, और इसकी वजहसे आम नागरिकों को आर्थिक रूप से महंगाई का सामना करना पड़ सकता है.

असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा के अध्यक्षता में गठित यह मंत्रिमंडल की समिति तीन उपायों का प्रस्त्ताव जीएसटी कमिटी को दे सकती है. प्रमुख वित्तीय सलहाकार श्री अरविंद सुब्रमण्यम के सूचना अनुसार, आयकर सहित अन्य केंद्रीय करों पर छोटी मात्रा में सरचार्ज लगाया जा सकता है. दूसरे सुझाव में विस्तृत रूप से कृषि उत्पादन पर मामूली सरचार्ज लागू करने कि चर्चा हो सकती है. इससे जमा होनेवाली राशि केंद्र और राज्य सरकारों में बांटी जा सकती है. किसान और फसलों से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए इसका इस्तेमाल हो सकता है. या सिर्फ चिनी पर सेस लगा कर, कृषि क्षेत्रसे संबंधित समस्याओं का निपटारा करने के लिए इस राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है. प्रस्तुत सुझाव में लगे चिनीपर 5 प्रतिशत जीएसटी के अलावा प्रति किलो रु. ३ के सेस पर भी चर्चा हो सकती है. अथवा जीएसटी ५ प्रतिशत से बढाके १२ प्रतिशत करणे पार विचार हो सकता है.

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