दुनिया भरमें चिनिके दाममें होने वाले नियमित उतार चढ़ाव से गन्ना किसानो कि माली हालत तय होती है।ब्राझील दुनिया का सबसे बड़ा चिनी उत्पादक देश है। इसीलिए यह चिनी का दाम तय करने मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका सीधा असर भारत जैसे कृषिप्रधान देश के गन्ना किसानों पर होता है। कुछी हप्तों पहले केंद्र सरकार से चिनी उद्योग केलिए घोषित किया गया राहत पैकेज चिनी उद्योग और गन्ना किसानों को आर्थिक संकट से निजाद दिलाने कि एक तात्कालीक कोशिश है। लेकीन इसे से चिनी उद्योग और गन्ना किसानों का स्थाई समाधान नहीं हो सकता। इस महत्वपूर्ण बात को ध्यान में रखते हुवे चिनी उद्योग अपने भविष्य का नियोजन करना जरूरी है । गन्ना और चिनी का अतिरिक्त उत्पादन ओर अस्थिर दाम इस दुविधा से निपटने के लिए चिनी उद्योग को हमेशा सजग रहना होगा क्योंकि गन्ना किसानों कि माली हालत और किस्मत चिनी मिलोंके माली हालतसे सीधे तौर पर जुडी है।
अभी घोषित राहत पैकेज चिनी उद्योग के लिये एक अस्थायी समाधान है। इस पैकेज के बगैर खस्ता चिनी मिले अगले मौसम के लिये कार्यरत होकर क्रशिंग करना संभव नहीं था।इससे गन्ना किसानों कि बहुत बड़ी आर्थिक हानी होने कि संभावना थी। गन्ना किसानों केलिए चिनी के किमत रु.40 होना फायदे मंद हो सकता है। गन्नेकि खेती के लिये बहुत बडी मात्रा में पानी कि जरूरत होती है। इस मामले मैं सभी राज्यों को महाराष्ट्र कि गन्ना खेती का आदर्श सामने रख कर पानी कि बचत कर अधिक उत्पादन लेनेके लिए ड्रिप इरीगेशन का सहारा लेना चाहिए। इससे पानी ओर बिजली के बचत होने से कम लागत में गन्ने कि खेती हो सकती है। Co – 0238 इस प्रजाति से गन्ना उत्पादन अधिक होने से देश में गन्ने कि खेती अधिक मात्रा में हो रही है। उत्त र प्रदेश में यह प्रजाति लोकप्रिय है। इस प्रजाती से अधिक रिकव्हरी होने के कारण चिनी मिले भी इसे अधिक पंसद करती है। इस तरह चिनी मिलोंकि सशक्त,सक्षम आर्थिक स्थिति से गन्ना किसानों कि किस्मत सीधे तौरपर जुड़ी है।