चीनी मिल के मैनेजिंग डायरेक्टर धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार

महाराष्ट्र : 31 मिलों के पास पांच साल से एफआरपी का 250 करोड़ रूपये बकाया….

कुड्डालोर: चीनीमंडी

तमिलनाडु के कुड्डालोर जिला अपराध शाखा ने बुधवार को एक निजी चीनी मिल के मैनेजिंग डायरेक्टर को पिछले कुछ वर्षों से सैकड़ों गन्ना किसानों को 80 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी देने के आरोप में गिरफ्तार किया। कुड्डालोर जिले के वृद्धाचलम के पास ए चित्तूर में थिरु अरोरण शुगर्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर की राम थियागराजन के रूप में पहचान की गई।

…ऐसे की किसानों से धोखाधड़ी
पुलिस ने कहा कि, जिला अपराध शाखा को गन्ना किसानों से कई शिकायतें मिलीं कि निजी चीनी मिल, जो उनसे गन्ने की खरीद कर रही है, वित्तीय वर्ष 2016-17 के बाद से अपना बकाया भुगतान करने में विफल रही। मिल कुड्डालोर और पड़ोसी जिलों में करीब 1,500 किसानों से गन्ना खरीदती है। किसानों ने अपनी शिकायतों में आरोप लगाया कि, चीनी मिल प्रबंधन ने आवेदन पत्रों में उनके हस्ताक्षर प्राप्त किए और यह दावा किया था की, किस्तों में उनके बकाये को उनके बैंक खातों में हस्तांतरित करेंगे। मिल प्रबंधन ने आगे घोषणा की कि अगर किसान आवेदन फार्म पर हस्ताक्षर करने में विफल रहे तो वह किश्तों में बकाया का निपटान नहीं कर पाएंगे।

मिल प्रबंधन ने किसानों को किया गुमराह…
प्रबंधन ने किसानों को बताया कि, इसने एक राष्ट्रीयकृत बैंक के साथ विशेष व्यवस्था की है, जो किस्तों में अपने बकाये का भुगतान करेगा और प्रबंधन बाद में बैंक को चुका देगा। किसानों को राष्ट्रीयकृत बैंक से किश्तों में पैसा मिलना शुरू हुआ। हालांकि, कुछ महीनों के बाद उन्हें बैंक से नोटिस मिला कि वे बैंक से लिए गए ऋण को चुकाए। किसानों ने दावा किया कि, उन्होंने कभी भी बैंक से कोई ऋण नहीं लिया है और यह मानते हैं कि उन्हें बैंक से किश्तों में जो पैसा मिला था, वह उनके निपटान का एक हिस्सा था। उन्हें बाद में पता चला कि मिल प्रबंधन ने उनके नाम पर ऋण लिया था और ऋण राशि को किस्तों में हस्तांतरित कर दिया था, जो उन्हें लगता था कि उनके निपटान का हिस्सा है। प्रबंधन ने न तो उनके नाम पर लिए गए ऋणों को चुकाया और न ही 2016-17 से उसके द्वारा खरीदे गए गन्ने के बकाए का भुगतान किया।

बैंक ने कहा यह ऋण है, बकाया भुगतान नही…
किसानों ने कहा कि, वे हैरान थे कि बैंक ने उनकी जानकारी के बिना उनके ऋण को कैसे वितरित कर दिया। उन्होंने कहा कि, उन्होंने मिल प्रबंधन के दबाव के कारण ही आवेदन फॉर्म पर हस्ताक्षर किए। किसानों को नोटिस में बैंक ने स्पष्ट रूप से कहा कि, यह उनके लिए ऋण का वितरण है और प्रबंधन द्वारा दावा किए गए उनके बकाये का निपटान नहीं है।

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