सरकार की पहल से बंद होने के कगार पर पहुँच चुकी चीनी मिलों को पुर्नजीवित किया गया: मंत्री

नई दिल्ली, 14 फरवरी: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच पूरी दुनिया के सामने ऊर्जा संकट की समस्या जितनी गंभीर होती जा रही है उतनी ही चुनौती पैट्रोल चालित वाहनों से हो रहे प्रदूषण से भी देखने को मिल रही है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में ये समस्या और भी बडी है। देश में ऊर्जा संकट से निजात पाने के संदर्भ में मीडिया से बात करते हुए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि देश में नवीकरण ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। 2030 तक देश की कुल ऊर्जा में नवीकरण ऊर्जा की भागीदारी 50 फीसदी से अधिक करने का सरकार का लक्ष्य है। आर के सिंह ने कहा कि इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है कि हम इको फ्रेंडली ऊर्जा देने वाले संसाधनों का उपयोग करें। मंत्री ने कहा कि अगर हम कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े संसाधनों से ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर ध्यान देंगे, तो इसमें गन्ना से तैयार इथेनॉल को बडे विकल्प के तौर पर काम में ले सकते है। इससे एक ओर जहां पर्यावरण प्रदूषण रोकने में मदद मिलेगी वहीं आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों और वित्तीय संकट का सामना कर रही चीनी मिलों को पोषित करने का काम भी होगा। आर के सिंह ने कहा कि भविष्य में इथेनॉल आधारित इंधन की निर्भरता और बढ़े इसके लिए सरकार ने कम्पनियों के लिए 10 फ़ीसदी इथेनॉल पैट्रोल के साथ मिलाने की अनिवार्यता की ताकि व्यावहारिकता में इथेनॉल को इंधन के लिए उपयोगी बनाया जा सके।

आरके सिंह ने कहा कि वर्तमान ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने में प्राकृतिक तरीकों की जरूरत ज्यादा महसूस हो रही है। सरकार आने वाले दिनों गन्ना के अवशेष से तैयार ऊर्जा को भी बढ़ावा देगी।

गन्ने के अवशेषों से ऊर्जा उत्पादित करने के मसले पर मीडिया से बात करते हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि चीनी मिलों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सरकार मिलों को आय के अन्य विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके तहत मिलों में बचे गन्ने के अवशेष से बिजली तैयार करने की योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। सरकार द्वारा चीनी मिलों को ऊर्जा संयत्र लगाने के लिए सस्ती दर के वित्तीय ऋण भी उपलब्ध करा रही है। सरकार की इस पहल से बंद होने के कगार पर पहुँच चुकी मिलों में नई जान फूंकने का काम हुआ है। सरकार की इस पहल से न केवल किसान और चीनी मिलें आर्थिक तरक्की करेंगी बल्कि देश में शुद्ध और पर्यावरण अनुकूल माहौल बनाने में भी मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि भारत सरकार आगामी दो सालों में परंपरागत ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देने के के लक्ष्य को लेकर चल रही है। इसके लिए नवीकरण ऊर्जा संसाधनों की वर्तमान क्षमता को बढ़ाकर 1 लाख 75 हजार मेघावाट करने का टारगेट रखा गया है, ऐसे में देश की इको फ्रेंडली ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में चीनी मिलों द्वारा उत्पादित गन्ने के अवशेषों से तैयार ऊर्जा की भी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।

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