राजस्थान में गन्ने के अवशेष से चीनी मिलें बनाएगी बायोगैस और जैविक खाद

जयपुर, 5 अगस्त: केन्द्र सरकार देश में परंपरागत ऊर्जा पद्धतियों को बढावा देने के लिए सब्सिडी आधारित नई योजना पर काम रही है। इसके लिए राज्यों को ‘‘राष्ट्रीय बायोगैस और जैविक खाद कार्यक्रम’’ योजना के तहत प्रौत्साहन दिया जा रहा है। परंपरागत ऊर्जा पद्धतियों के विस्तार कार्यक्रमों के मसले पर मीडिया से बात करते हुए राजस्थान के गंगानगर से सांसद निहालचंद मेघवाल ने कहा कि मेरा क्षेत्र गंगानगर-हनुमानगढ़ आता है। यहाँ गन्ने की खेती पर्याप्त मात्रा में होने के कारण चीनी मिल भी चल रही है। यहाँ के गन्ना किसानों की आमदनी बढ़ाने और चीनी मिलों के लिए अतिरिक्त आमदनी का ज़रिया सुनिश्चित करने के लिए हम केन्द्र सरकार की ‘’नवीन राष्ट्रीय बायोगैस और जैविक खाद योजना’’ के तहत प्रदेश की चीनी मिलों को इस काम के लिए प्रेरित कर रहे है। सांसद ने कहा कि गन्ने के अवशेष और अनुपयोगी शीरा को डिकम्पोज कर उसके सम्मिश्रण को गोबर में घोलकर चीनी मिलें उससे बायो गैस बनाने के अलावा जैविक खाद बनाएगी तो उनको अतिरिक्त आमदनी होगी और वित्तीय उपार्जन में मदद मिलेगी। सांसद ने कहा कि सरकार की इस पहल से गन्ना किसानों और चीनी मिलो को जहाँ फ़ायदा होगा वहीं खाना बनाने और ऊर्जा उपयोग के लिए गैस मिलने से ईंधन की बचत होगी। इसके अलावा जैविक खेती से रसायन रहित कृषि को भी बढावा मिलेगा।

केन्द्र की इस योजना मसले पर अपने विचार साझा करते हुए राजस्थान से सांसद और केन्द्र में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा सरकार ने चीनी मिलों को अपने ख़र्चो की क्षतिपूर्ति के लिए ये एक अवसर दिया है और मिलों को सरकार की इस योजना को आगे बढ़ाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि चीनी मिले बायोगैस की बिक्री करने के अलावा जैविक खाद बेचकर जितनी आमदनी अर्जित करेगी उसका उपयोग चीनी मिलों के सरप्लस ख़र्चो को पूरा करने में होगा तो उनका वित्तीय कर्जभार कुछ कम होगा।

इस योजना के राजस्थान में क्रियान्वयन के मसले पर मीडिया से बात करते हुए केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय उर्जा एवं विद्युत राज्यमंत्री आर.के.सिंह ने बताया कि वर्ष 2019-20 के दौरान केन्द्रीय योजना, ‘राष्ट्रीय बॉयोगैस और जैविक खाद कार्यक्रम’ के तहत राजस्थान में 3300 छोटे बॉयोगैस संयंत्रों की स्थापना को सरकार ने मंज़ूरी दी है। इसके लिये जिन इलाक़ों में जो फ़सलें अधिक होती है उनके अवशेषों को डिकम्पोज कर वहाँ पर बायोगैस और जैविक खाद बनाकर ग्रामीण आमदनी बढाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि योजना के तहत बनने वाले इन संयंत्रों से दूरस्थ, ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में खाना, मकान, रोशनी और अन्य तापीय और लघु विद्युत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वच्छ ईंधन के रूप में बॉयोगैस उपलब्ध होगी।

राजस्थान स्टेट सुगर मिल लिमिटेड के महा प्रबंधक (ऑपरेशंस) सुरेश गुप्ता ने बताया कि चीनी मिलों को वित्तीय घाटे की पूर्ति करने की दिशा में गन्ने से चीनी बनाने के अलावा गन्ने के वेस्टेज से तैयार होने वाले इस तरह के नव प्रयोगों को अपनाना चाहिए, इससे चीनी मिलों और किसानों को फ़ायदा होगा। गुप्ता ने कहा कि बायोगैस उत्पादन की प्रक्रिया में उत्पादित जैविक खाद का उपयोग मिटटी को उपजाऊ बनाने में होगा तो खेत में गन्ने का उत्पादन भी बढ़ेगा,उत्पादन बढ़ेगा तो किसानों सीधे तौर पर लाभ होगा।


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