सरकारी योजनासे चिनी मिलों कि आज होनेवाली मुसीबत कलतक टली

चिनी मिलों कि खस्ता हालत ध्यान में रखकर, केंद्र सरकारने मिलों कि हालत सुधारनेके लिए दो योजना बनाई है.पहले योजना के तेहत चिनी मिलों को ३० लाख टन बफर स्टॉक रखने
कि अनुमति देना . स्टॉक लागत कि राशी और इसका ब्याज भी सरकार चुकता करेगी, इससेअतरिक्त बोजभी चिनी मिलों पर नहीं पड़ेगा. दूसरी योजना यह है कि चिनी मिलों को हर
माहमें चिनी का स्टॉक घोषित करना होगा और उतनी ही चिनी देश में बिक्री करने कि अनुमतिमिलेगी .चिनी बिक्री के न्यूनतम दर रु. २९०० प्रति क्विंटल निश्चित करनेके साथ हि, चिनी मिलोंको इससे कम दाममें चिनी बेचने कि अनुमति नहीं है. जिसका सिधा असर बाजारमें चिनी के दाम पर हुवा है, और दाममें प्रति क्विंटल रु.५००-६०० बढ़ोतरी हुवी है.

राज्य सहकारी बैंकों ने भी चिनी कर्ज का किमान मूल्य रु. २९०० निश्चित किया है, जिससे मिलों को शोर्ट मार्जिनसे बाहर निकलने में मदत मिली है.
केंद्र सरकार के इस निर्णय से सिर्फ अभी के लिये मिलों को राहत मिली है . इस योजना का परिणाम भविष्यमें क्या होगा, इसपर अभी कुछ केहना संभव नहीं है . इससे चिनी
मिलों को समस्याओंसे पूरी तरह राहत मिलना संभव नहीं है. सरकार ने चिनी के दाम प्रतिटन रु २९००, २०-२२ लाख टन बिक्री कोटा निश्चित किया है. ज्यादा से ज्यादा २५० लाख
टन कि बिक्री होने के आसार है और २० लाख टन चिनी का निर्यात कोटे कि सक्ती मिलोंपर कि है . १ अक्टूबर २०१८ के मौसम में ज्यादासे ज्यादा ७-८ लाख चिनी कि निर्यात हो सकती है.

और अगले आने वाले मौसम २०१८-१९ में ३४० लाख टन चिनी उत्पादन का अनुमान है. अबतक चिनी उत्पादन में जो दक्षिण भारत के राज्य जैसे तेलंगना और आंध्रप्रदेश पिछड़े थे
वहाँ भी में चिनी उत्पादन बढ़कर २०-२५ लाख टन होने के आसार है . २०१८-१९ के मौसम तक १९५ लाख टन चिनी गोदामों में बाकी रहेगी. चिनी स्टॉक नियम के अनुसार तीन माहतक ६० लाख टन चिनी बाकी रहना चाहिए. अग़र इसे ध्यानमें रखा जाये तो कमस कम १३५ लाख टन चिनी अगले देढ सालमें निर्यात होना आवश्यक है. लेकिन आनेवाले देढ सालमें इतनी चिनी निर्यात करना संभव नहीं है. ईसका एक हि मतलब निकला जा सकता है कि सरकारने आज होने वाली मौत को कल तक टाल दिया है. २८ मार्च २०१८ चिनी निर्यात के सक्ति के बाद अभीतक महाराष्ट में सिर्फ २-३ लक्ष टन चिनी कि निर्यात हुवी है.

तब चिनी निर्यात का मूल्य प्रति क्विंटल रु २०५० था . तब चिनी के दाम २५५०-२६०० रु थे, जिसके वजहसे मिलों को रु.४०० का शॉट मार्जिन मिल रहा था. लेकिन चिनी का न्यूनतम मूल्य बढकर रु २९०० करने से चिनी मिलों को ८०० अतिरिक्त शॉट मार्जिन बैंकों में जमा करने में दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है. अगर यही हालत रही तो १ अक्तूबर २०१८ तक ४ लाख टन चिनी निर्यात हो नहीं सकती, ऐसा निर्यातकों का कहना है.

सरकार का इस मौसम में २० लक्ष टन चिनी निर्यात करने का उदेश है, लेकिन इसके पुरे होने के आसार कम ही है. क्यूँकी अगले दो महीनों में बारिश के मौसम कि वजह से निर्यात कम हो सकती है. २०१७-१८१८ और २०१८-१९ इस दोनों मौसम में लगभग ८० लाख टन चिनी निर्यात करने का फैसला सरकारने किया है, परंतु अभी के हालत देखकर यह उदेश पूरा होनेके आसार कम ही है. अगले मौसम तक चिनी उत्पादन कम करने के दो तरीके है, एक तो गन्ने उत्पादन क्षेत्र कम किया जाय, या बी व्हेल्वी माँलीसीस से इथेनॉल का निर्माण करने से १०% चिनी का उत्पादन कम हो सकता है.

SOURCEChiniMandi

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