02 अक्टूबर, भोपाल: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार प्रदेश के युवाओं को कृषि आधारित उद्योगों से जोड़कर आधुनिक कृषि तकनीक से युक्त लाभ आधारित नगदी फ़सलो की खेती को बढावा दे रही है। इसी क्रम में गन्ना जैसी नगदी फ़सलों की कृषि को बढावा देकर उससे जुड़े उद्योगों में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर तलाशने का काम भी क़िया जा रहा है। विभाग की इस योजना पर मीडिया से बात करते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री ने कहा कि हाल ही में हमने प्रदेश की सभी सहकारी चीनी मिलों के साथ बैठक की है। बैठक में तय किया गया कि जिन इलाक़ों में चीनी मिलें चल रही है वहां स्थानीय स्तर पर ग्रामीण युवाओं के लिए मिलों में रोजगार के विकल्प बढ़ाए जाने चाहिए। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को गाँवों में जॉब नहीं मिलता इसलिए वे शहरों की ओर पलायन कर रहे है। पलायन की इस समस्या को रोकने में चीनी मिलें मददगार साबित हो सकती है। क्योंकि चीनी मिलों में ग्रामीण युवाओं को जब काम मिलेगा तो वो शहरों में जाना बंद करेंगे। इससे एक ओर जहाँ शहरों में आबादी के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी वहीं बेरोजगारी के आँकड़े घटने से देश में आर्थिक विकास से युक्त रोजागार इंडेक्स बढ़ेगा।
मंत्री ने कहा कि जिन युवाओं ने स्नातक शिक्षा हासिल कर रखी है उनको चीनी मिलों में कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर रोज़गारोन्मुखी बनाया जाएगा। इसमें दक्ष और गैर दक्ष श्रेणी के तहत प्रशिक्षण शुरु होगा। कम पढ़े लिखे युवाओं को गैर तकनीक श्रेणी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए मध्य प्रदेश के सहकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त ब्रजेश शरण शुक्ल ने कहा कि सरकार प्रदेश के ग्रामीण युवाओं को सहकारिता से जोड़कर रोजगार देने का काम कर रही है। इसके लिए प्रदेश की सभी सहकारी चीनी मिलों में कौशल विकास केन्द्र खोलने की व्यवस्था की जाएगी। इस काम में सहकारी विभाग भी अपनी सहभागिता निभाएगा। शुक्ल ने कहा कि सरकार ने युवाओं से रोजागार देने का वादा किया है इसे पूरा करने की शुरुआत हो गयी है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ लक्ष्मण सिंह ने कहा कि सरकार की इस पहल से कृषि विषय ये पढ़े लिखे छात्रों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कृषि विषय से पढ़े युवा गन्ने की खेती के बारे में पहले से अवगत रहते है ऐसे में उनको चीनी मिलों मे जॉब मिलेगी तो वो मिलों में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय से पढ़े लिखे युवा कम वेतन में भी अच्छी सेवा दे सकेंगे इससे चीनी मिलों को कम पैसों में ऊर्जावान और दक्ष मानव श्रम मिलेगा जो मिलों के उत्पादन ग्राफ़ को बढाने का काम करेगा।
सरकार की इस पहल से एक और जहाँ सहकारिता विभाग के साथ चीनी मिलों की भागीदारी बढ़ेगी वहीं ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण मिलने और कुशल मानव संसाधान तैयार होने से स्थानीय स्तर पर युवाओं के लिये जॉब के अवसर बढ़ेंगे।
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