नई दिल्ली: चीनी के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। बीएस के मुताबिक पिछले 3 हफ्ते में चीनी के भाव 21 फीसदी बढ़ चुके हैं। चीनी के भाव पिछले 3 महीने के ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। चीनी के भाव में मिल की तरफ से कम सप्लाई के चलते बढ़ रहे हैं। सरकार ने सप्लाई को नियंत्रित करने के लिए रिवर्स स्टॉक लिमिट लगा दी थी। बेंचमार्क एम30 वैराइटी की चीनी के भाव 19 मई को इस सीजन में 2762 रुपए प्रति क्विंटल हो गए थे। अब चीनी के भाव मुंबई की होलसेल वाशी मंडी में 3,341 रुपए हो गए। रिटेल में चीनी 35 से 40 रुपए किलो के बीच मिल रही है।खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा कि केंद्र सरकार, चीनी क्षेत्र को विनियमित नहीं करना चाहती है और चीनी के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को तय करना और चीनी मिलों के लिए स्टॉक रखने की सीमा निर्धारित करना महज किसानों, उपभोक्ताओं के साथ – साथ छोटी इकाइयां के हित के लिए किया गया है।
आधिकारी ने चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में किसी प्रकार की वृद्धि किये जाने से भी इंकार किया तथा सवाल किया कि चीनी जब बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है तो उपभोक्ता उसकी ऊंची कीमत क्यों दें? नकदी संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग की सहायता के लिए, सरकार ने पिछले हफ्ते 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने और मिलों पर चीनी का मासिक स्टॉक सीमा तय करने के अलावा चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य तय करने का फैसला किया है।
प्रमुख चीनी उद्योग के संगठन इस्मा और एनएफसीएसएफ जैसे चीनी उद्योग निकायों ने चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि उत्पादन लागत को पूरा करने के लिए 29 रुपए प्रति किग्रा का मूल्य अपर्याप्त है जबिक उत्पादन लागत लगभग 34 से 36 रुपए प्रति किलो बैठती है।अधिकारी ने कहा, ‘फ्लोर कीमत अधिकतम कीमत नहीं हो सकती है। चीनी मिलें 25 रुपए प्रति किलो की दर से चीनी बेच रही थी अब न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपए किलो तय किया गया है और चीनी मिलों को चार रुपए प्रति किग्रा ज्यादा मिल रहा है। मौजूदा परिदृश्य में यह एक अच्छा मूल्य है।अगर ‘फ्लोर – प्राइस’ 35 रुपये प्रति किलोग्राम तय की जाती है, तो चीनी मिलों को सात से आठ रुपए प्रति किलो और ज्यादा की कमाई होगी लेकिन फिर खुदरा मूल्य 44 रुपए प्रति किलो हो जाएगा। ‘एक चीनी बहुतायत वाले सत्र में, उपभोक्ता को उच्च भुगतान क्यों करना चाहिये? उपभोक्ताओं को भी कुछ लाभ मिलना चाहिये।’ अधिकारी ने आगे कहा कि सरकार मिलों पर गन्ना किसानों के 22,000 करोड़ रुपए से बकाए में से अधिक से अधिक का बकाया निपटाने में मिलों की मदद करने की कोशिश कर रही है।