चीनी उत्पादन 8 फीसदी बढ़ा; यह राज्य सबसे आगे

 

सिर्फ पढ़ो मत अब सुनो भी! खबरों का सिलसिला अब हुआ आसान, अब पढ़ना और न्यूज़ सुनना साथ साथ. यह न्यूज़ सुनने के लिए इमेज के निचे के बटन को दबाये

नई दिल्ली : चीनी मंडी

देश में चीनी के बम्पर उत्पादन के साथ साथ सरकार, चीनी उद्योग और किसानों की समस्याओं को भी बढ़ाया है।गन्ना पेराई सत्र 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती चार महीनों में चीनी का उत्पादन करीब 8 फीसदी बढ़ गया है। वहीं गन्ना किसानों का बकाया 20 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है और दिनोंदिन बकाया बढ़ता ही जा रहा है।

‘इस्‍मा’ के मुताबिक शुरुआती चार महीनों में चीनी का उत्पादन 185.19 लाख टन हो चुका है।देशभर में चालू 514 मिलों में यह उत्‍पादन हुआ है।पिछले साल की समान अवधि के उत्पादन आंकड़े 171.23 लाख टन से 13.96 लाख टन यानी 7.5 फीसदी अधिक है। वहीं 31 जनवरी, 2019 तक गन्‍नों की कीमतों का बकाया करीब 20,000 करोड़ रुपये हो गया है।’इस्‍मा’ के मुताबिक देशभर में चीनी की ‘एक्स मिल’ कीमत (जिस दर पर चीनी मिलें डीलर को चीनी बेचती हैं) 29-30 रुपये प्रति किलोग्राम है, जोकि चीनी की उत्पादन लागत से करीब पांच-छह रुपये प्रति किलोग्राम कम है।

चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र सबसे आगे…

इस साल अबतक चीनी का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र में 70.70 लाख टन हो चुका है।वहीं उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी, 2019 तक चालू 117 मिलों में चीनी का उत्पादन 53.36 लाख टन हुआ है। महाराष्‍ट्र में पिछले साल 31 जनवरी तक 63.08 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था,जबकि पिछले साल यूपी के 119 मिलों में 53.98 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।देश के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक प्रदेश कर्नाटक में 31 जनवरी तक 33.04 लाख टन चीनी का उत्‍पादन हुआ जबकि पिछले साल इस अवधि तक 26.78 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. इस लिहाज से करीब 8 लाख टन की बढ़ोतरी है।तमिलनाडु में पिछले साल के 2.12 लाख टन के मुकाबले इस साल 3.10 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। ‘इस्‍मा’ को अनुमान है कि इस साल चीनी का उत्पादन 307 लाख टन हो सकता है, जोकि पिछले साल के उत्पादन अनुमान 325 लाख टन से करीब 6-7 फीसदी कम है।

चीनी की न्यूनतम बिक्री कीमत बढ़ाने की मांग…

‘इस्‍मा’ ने मांग की है कि, केंद्र को मिलों के लिए चीनी का न्यूनतम भाव बढ़ाकर 35-36 रुपये किलो करना चाहिए ताकि चीनी मिलें अपनी लागत वसूल सकें और गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान कर सकें। संगठन ने साथ ही कहा कि चीनी निर्यात भी अनुकूल गति से नहीं हो रहा.कई चीनी मिल आवंटित कोटा के मुकाबले या तो स्वेच्छा से निर्यात नहीं कर रही या यह उन्हें व्यवहारिक नहीं लग रहा है। निर्यात कोटा को लागू करने के लिए, सरकार कोटा को सही तरीके से अमल में लाए।

डाउनलोड करे चीनीमंडी न्यूज ऐप:  http://bit.ly/ChiniMandiApp  

SOURCEChiniMandi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here