महाराष्ट्र में कम गन्ना पैदावार और बाढ़ के कारण छोटा रह सकता है चीनी सीजन

मुंबई: महाराष्ट्र में इन दिनों चीनी का सीजन जोरों पर है, लेकिन विभिन्न कारणों से राज्य की अधिकांश चीनी मिलों में जनवरी के अंत तक काम ख़त्म हो जाने की संभावना है। गन्ने की कम पैदावार, गन्ने का जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल और बाढ़ से गन्ने की फ़सल को हुए नुकसान को इसकी वजह बताया जा रहा है। इस कारण इस बार महाराष्ट्र में चीनी सीजन छोटा रहने की संभावना है।

बता दें कि आमतौर पर महाराष्ट्र में चीनी का सीजन दिवाली के बाद शुरू होकर मार्च के अंत तक जारी रहता है, लेकिन इस बार यह जल्दी ख़त्म हो सकता है। कई इलाक़ों में बाढ़ के कारण भी फसलों को नुकसान हुआ। इसके अलावा, गन्ने का पशु चारे के लिए भी इस बार बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में मानसून शुरू होने से पहले पीने के पानी और पशुओं के चारे की कमी का सामना करना पड़ रहा था, जिसकी वजह से किसानों ने बेहतर कीमत के लिए अपने गन्ने को चारा ठेकेदारों को बेच दिया। गन्ने की कम उपलब्धता के कारण क़रीब 70 प्रतिशत मिलें अगले 30 दिनों में काम ख़त्म कर लेंगी, हालांकि पड़ोसी राज्यों से सटे इलाक़ों की कुछ मिलों का काम मार्च तक जारी रह सकता है।

इस बार महाराष्ट्र में बाढ़ और सूखे के कारण गन्ना उत्पादन पर काफी असर पड़ा है और साथ ही साथ, राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण गन्ना पेराई सत्र में देरी हुई है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने राज्य के राज्यपाल बीएस कोश्यारी से अनुमति मिलने के बाद आधिकारिक तौर पर गन्ना पेराई सीजन शुरू कर दिया था। राज्यपाल ने 22 नवंबर को आधिकारिक रूप से सीजन शुरू करने की अनुमति दी थी। देरी से सीजन शुरू होने के कारण चीनी उत्पादन में काफी गिरावट देखि जा सकती है।

आपको बता दे, चीनी सीजन 2018-2019 में महाराष्ट्र में कुल 195 चीनी मिलों ने पेराई में भाग लिया था और 951.79 लाख टन गन्ने की पेराई करके 11.26 प्रतिशत की रिकवरी दर के हीसाब से 107.19 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। इस सीजन में, महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन कम होने की संभावना है क्योंकि राज्य बाढ़ और सूखे से प्रभावित हुआ है।

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