कोरोना वायरस की मार: चीनी उद्योग को सरकार से मदद की उम्मीद

औरंगाबाद : चीनी मंडी

कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन से इस साल के चीनी पेराई सत्र में बाधा आई है, जिससे पहले से ही त्रस्त चीनी उद्योग को और गहरे संकट में धकेल दिया है। लॉकडाउन के कारण औद्योगिक खरीदारों जैसे आइसक्रीम, शीतल पेय निर्माताओं ने अपने उत्पादों की कम बिक्री के कारण अपनी चीनी खरीदारी बंद कर दी है। महाराष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पहिए चीनी उद्योग पर चलते हैं, और कोरोना वायरस की मार से चीनी उद्योग के साथ साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है।

इसके चलते सहकारी चीनी मिल के शीर्ष निकाय महाराष्ट्र स्टेट को-आपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से संपर्क किया है, और इस स्थिति से उबरने के लिए चीनी उद्योग को तत्काल वित्तीय सहायता की मांग की है।

फेडरेशन के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगावकर ने कहा, गन्ने की कटाई, ढुलाई, पेराई और चीनी उत्पादन चरम पर होने पर कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लागू किये गये लॉकडाउन ने मिलों के पेराई में गतिरोध पैदा हुआ। जिससे चीनी मिलों को काफी नुकसान हुआ है। दांडेगांवकर और नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ लिमिटेड के उपाध्यक्ष केतनभाई सी पटेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को अलग-अलग पत्र लिखे हैं।

पटेल ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि, भारत के चीनी उद्योग से लगभग 5 करोड़ किसान और लगभग 10-15 लाख श्रमिक जुड़े हैं। आने वाले महीने में पेराई सत्र शुरू करने के लिए इस कृषि उद्योग को अपने पैरों पर खड़ा करने में सरकार की सहायता की आवश्यकता है। लाखों गन्ना किसानों को उनके द्वारा चीनी मिलों तक पहुँचाए गए गन्ने के भुगतान का इंतजार है। मिलों के पास तरल नकदी नहीं है और मिले चाहती हैं कि, केंद्र सरकार किसानों को सीधे भुगतान करे।

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