लखनऊः प्रदेष के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना कृषकों के हित में चीनी मिलों को गन्ना खेती के लिए आवश्यक कृषि निवेश यथा-गन्ना बीज, कीटनाशक, खाद, मशीनरी आदि निवेशों के ब्याज मुक्त वितरण की अनुमति कतिपय प्रतिबंधों के साथ प्रदान की गयी हैं, जिससे चीनी मिलें इसका अपने निहित लाभ हेतु दुरूपयोग नहीं कर सकेंगी तथा गन्ना किसानों को समय पर कृषि निवेशों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
कृषि निवेशों के वितरण हेतु जारी निर्देशों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए श्री भूसरेड्डी ने बताया कि कृषि निवेशों का वितरण उनके वास्तविक गन्ना क्षेत्रफल के सापेक्ष अनुमन्य मात्रा तक सीमित होगा तथा कृषकों की आवश्यकता के अनुरूप ही दिया जायेगा। चीनी मिलों द्वारा व्यावसायिक गतिविधि के रूप में कोई लक्ष्य निर्धारित कर किसी किसान को बिना उसकी सहमति एवं आवश्यकता के कृषि निवेशों का वितरण नहीं किया जायेगा। सम्बन्धित कृषि निवेशों पर देय जी.एस.टी. के भुगतान का दायित्व निवेश वितरित करने वाली चीनी मिल का होगा, यदि कहीं यह पाया गया कि जी.एस.टी. का नियमानुसार राजकोष में बिना भुगतान के कोई वितरण हुआ है तो इसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व सम्बन्धित चीनी मिल का निर्धारित कर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
गन्ना आयुक्त द्वारा जारी दिशानिर्देश में यह भी निर्देशित किया गया है कि एग्री इनपुट के वितरण एवं गन्ना मूल्य से उसके समायोेजन की अनुमति प्राप्त करने वाली चीनी मिलों को पांच लाख रूपये की बैंक गारंटी भी देनी होगी, यदि चीनी मिलों द्वारा उक्त सुविधा का दुरूपयोग किये जाने की शिकायतें किन्हीं भी स्रोतों से प्राप्त होती हैं और जाॅच में शिकायत सही पायी जाती है तो बैंक गारंटी को जब्त कर लिया जायेगा तथा कृषि निवेशों के वितरण की अनुमति भी वापस ले ली जायेगी।
श्री भूसरेड्डी ने यह भी बताया कि इन प्रतिबंधों के साथ चीनी मिलों द्वारा ब्याज मुक्त कृषि निवेशों के वितरण से प्रति हे. गन्ना उत्पादकता में वृद्वि होगी तथा गन्ना कृषकों को भी उनकी आय बढाने एवं लागत घटाने में मदद मिल सकेगी।
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