नई दिल्ली : चीनी मंडी
26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने ब्राजील के राष्ट्रपति जायर मेसियस बोल्सोनारो को आमंत्रित करने के निर्णय की आलोचना अखिल भारतीय गन्ना किसान महासंघ (AISFF) द्वारा की गई है। महासंघ का कहना है की विश्व व्यापार संगठन (WTO) में किसानों के लिए केंद्र सरकार के न्यूनतम मूल्य समर्थन कार्यक्रम को लेकर ब्राजील द्वारा भारत के निति को चुनौती दी है। दुनिया का एक प्रमुख गन्ना उत्पादक ब्राजील, गन्ना किसानों का समर्थन करने के भारत की मौजूदा योजना के खिलाफ है, जिसमें दावा किया गया है कि, यह विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत नहीं है।
AISFF ने शिकायत की है कि, भारत के उचित और पारिश्रमिक मूल्य (FRP), राज्य सलाहित मूल्य (SAP) और निर्यात सब्सिडी उपायों को चुनौती देने के ब्राजील के कदम से भारत में गन्ना किसानों की आजीविका को खतरा है। ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला के साथ ब्राज़ील ने ‘डब्ल्यूटीओ’ में भारत के चीनी निर्यात सब्सिडी पर भी सवाल उठाए है। ब्राज़ील ने दावा किया है कि, भारत ने 2010-11 में अपने एफआरपी को 1,391.20 रूपये टन से बढ़ाकर 2018-19 में 2,750 रूपये टन तक कर दिया है।
AISFF का कहना है की अगर WTO में अगर भारत हार जाता है, तो इससे किसानों सहित अन्य लोगो की आजीविका पर असर पड़ेगा। AISFF के महासचिव एन.के. शुक्ला ने कहा की, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार भारतीय किसानों के हितों की रक्षा करने के बजाय ब्राजील के राष्ट्रपति के लिए लाल कालीन बिछा रही है, जो भारत में गन्ना किसानों की आजीविका को नष्ट करने की कोशिश कर रही है।
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