चीनी सब्सिडी के पैसे सीधा गन्ना किसानों के खातों में जाने से रुकेगा भ्रष्टाचार: किसान नेता राकेश टिकैत

नई दिल्ली : भारत सरकार द्वारा चीनी निर्यात में सब्सिडी देने का फैसला न सिर्फ चीनी उद्योग के लिए मददगार साबित होगा बल्कि गन्ना किसान भी इससे काफी खुश है। देश में चीनी मिलें आर्थिक तंगी से जूझ रही है और इसलिए वे गन्ना बकाया चुकाने में विफल रहे है। अब निर्यात सब्सिडी चीनी मिलों को गन्ना बकाया चुकाने में सहायता करेगा। जिससे किसानों में खुशी की लहर देखी जा रही है।

कैबिनेट के फ़ैसले से किसान संगठन भी काफ़ी ख़ुश है। उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से उम्मीद है कि इस बार गन्ना पैराई सत्र मे चीनी मिलें गन्ना किसानों को समय पर उनका पैसा अदा करेगी जो किसानों के लिए एक सुखद ख़बर है। टिकेत ने कहा कि सरकार ने सब्सिडी के पैसे को सीधा किसानों के खाते में डालने की व्यवस्था कर इसमें भ्रष्टाचार रोकने का काम किया है। टिकैत ने कहा कि इससे गन्ना किसानों को अपने पैसे के लिए चीनी मिलों के चक्कर लगाने से भी निजात मिलेगा।

गौरतलब है कि भारत सरकार देश के किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण पर ध्यान देकर उनके वित्तीय समावेशन के लिए नीतिगत निर्णय ले रही है। इसी क्रम में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए कैबिनेट ने किसानों को 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से सरकार पर 6268 करोड़ रुपयों का ख़र्च आएगा। कैबिनेट ने चीनी सीजन 2019-20 के लिए चीनी मिलों को निर्यात करने के लिए 10,448 रुपए प्रति टन के हिसाब से सब्सिडी देने को मंजूरी दी है। वहीं किसानों को भी इससे लाभ होगा। सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी और बाद में शेष राशि, यदि कोई हो, मिल के खाते में जमा की जाएगी।

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