नयी तकनीक से गन्ने की उत्पादकता 70 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंची

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भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. ए. डी पाठक ने संस्थान द्वारा किसानों की आय दोगुनी किये जाने के संबंध में किये गये शोध का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी तकनीक विकसित की गयी है जिसके माध्यम से गन्ना की उत्पादकता 70 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुॅंच गयी है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति डा. गया प्रसाद ने किसानों की आय बढ़ाने में चुनौतियों को चिन्हांकित कर उन पर शोध कार्य कराने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कृषि मौसम पर निर्भर है तथा मौसम में आकस्मिकता के कारण कृषि प्रभावित हो रही है। ऐसे में कृषि विविधीकरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने भू-जल स्तर के दिन-प्रतिदिन गिरने पर चिंता व्यक्त करते हुए भू-जल रिचार्ज पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया।

प्रोटेक्शन ऑफ प्लान्ट वेराइटीज एण्ड फार्मर्स राइट्स, अथाॅरिटी के नई दिल्ली के अध्यक्ष डा. के.वी. प्रभु ने उपकार के कार्यों की सराहना करते हुए प्रदेश सरकार से 100 करोड़ उपकार को शोध कार्यों के लिये देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के लिये प्रजातियाॅं तथा तकनीकी विकसित किये जाने की आवश्यकता है।

उक्त अवसर पर उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता (से.नि.) ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में परिषद को 30वें स्थापना दिवस की बधाई देेते हुए कहा कि परिषद सीमित वित्तीय संसाधनों में प्रदेश में शोध एवं समन्वय का कार्य कर रही है। परिषद द्वारा विगत 30 वर्षों में किये गये शोध कार्यों से प्रदेश के कृषक लाभान्वित हो रहे हैं।

कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग सचिव बी. राम शास्त्री ने उपकार को उपयोगी बताते हुए कहा कि उपकार का मुख्य कार्य कृषि विश्वविद्यालयों, के.वी.के. तथा शासन के मध्य समन्वय स्थापित करना है। उनके द्वारा यह विचार दिया गया कि उपकार के वैज्ञानिकों को कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिए प्रभारी नामित करते हुए वहाॅ के कार्यो का समन्वय, अनुश्रवण व मूल्यांकन किया जाय।

उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि डा. पंजाब सिंह, पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा सभी पोषक तत्वों व प्राकृतिक संसाधनों के निरन्तर कम होने पर चिंता व्यक्त की। उनके द्वारा सभी शोध संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों एवं प्रदेश के तत्संबंधी विभागों को समन्वय स्थापित कर कार्य करने में उपकार की भूमिका को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया।

सेमिनार में डा. के.वी. प्रभू ने पौधों की विविधता संरक्षण, किसानों के अधिकार और लाभ साझा करने के लिए अपने विचार व्यक्त किए। डा. सुरेश पाल, निदेशक, एन.आई.ए.ई.पी., नई दिल्ली द्वारा कृषि आय दोगुनी करने के लिए कृषि विकास में तेजी लाने के लिए अपने विचार व्यक्त किये। डा. आर.सी. श्रीवास्तव, कुलपति, राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, बिहार, द्वारा कृषि संकट रणनीतियाॅ और आगे की राह विषयक व्याख्यान दिया।

डा. आर.के. सिंह, निदेशक, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली ने प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में पशुधन क्षेत्र की क्षमता पर अपने विचार व्यक्त किये गये। डा. एस.के. चतुर्वेदी, डीन, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी द्वारा कृषकों की आय में अभिवृद्धि के लिए बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार संबंधी प्रस्तुतीकरण किया गया।

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