पानी की कमी: महाराष्ट्र, कर्नाटक में किसान कर रहे है गन्ने की बुवाई में देरी

पुणे / बेलगावी: विलंबित मानसून के साथ जल निकायों में कम स्तर से महाराष्ट्र और कर्नाटक में खड़ी गन्ने की फसल को प्रभावित करने की संभावना बनी हुई है। पानी की कमी के कारण किसान 2023-24 सीज़न के लिए नए गन्ने की बुवाई में देरी कर रहे है।

द हिन्दू बिजनेस लाइन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक वीरेंद्र सिंह ने कहा, अगले 10 दिन महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की फसल के लिए महत्वपूर्ण है। अगर तब तक बारिश नहीं होती है, तो इन क्षेत्रों में गन्ने की पैदावार प्रभावित होने की संभावना है। पानी की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण किसानों को गन्ने की बुआई में देरी होती दिख रही है।

कोल्हापुर के चीनी ट्रेडर अभिजीत घोरपड़े ने कहा कि, पश्चिमी महाराष्ट्र में गन्ने की स्थिति गंभीर है। उन्होंने कहा, अगर अगले हफ्ते बारिश नहीं हुई, तो करीब 15 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है। एक बार गन्ने की फसल को नुकसान होने के बाद, रिकवर करना मुश्किल होगा। घोरपड़े ने कहा, खड़ी फसल सूखने लगी है और किसानों ने इसे चारे के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह तक देश भर में गन्ने की बुवाई का कुल क्षेत्रफल 16 जून तक 49.80 लाख हेक्टेयर था, जो एक साल पहले के 49.38 लाख हेक्टेयर के मुकाबले एक प्रतिशत से भी कम की वृद्धि है। उत्तर कर्नाटक और महाराष्ट्र के प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में जलाशयों का स्तर पिछले वर्ष के स्तर की तुलना में बहुत कम है, क्योंकि मौसम में अब तक कम बारिश हुई है। कोल्हापुर, बेलगावी, सांगली, बागलकोट, सतारा और सोलापुर जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में इस वर्ष बारिश में कमी देखी गई है।

कर्नाटक गन्ना उत्पादक संघ के सचिव अत्तल्ली देवराज ने कहा, पर्याप्त पानी की कमी के कारण कर्नाटक में लगभग 10-15 प्रतिशत क्षेत्र में गन्ना सूख गया है।कलघाटगी में, इस साल गन्ने की 25,000 एकड़ भूमि में से लगभग आधी सूख गई है। दिवाली के बाद से बारिश नहीं हुई है और बोरवेल सूख गए हैं। नतीजतन, खड़ी फसल सूख रही है।

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