उत्तर प्रदेश: गन्ना किसानों के लिए आपूर्ति करना होगा आसान

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देषों का अक्षरषः एवं मंषानुसार अनुपालन कर गन्ना विकास विभाग में निर्माण कार्यों की पारदर्शी प्रक्रिया को समुन्नत करने के लिए ई-निविदाओं में राज्य एवं केन्द्र सरकार के विभागों में पंजीकृत ठेकेदारों को भी प्रतिभाग करने का अवसर प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। इससे अन्तर्ग्रामीण सड़कों के नव-निर्माण, गड्ढामुक्ति, सुदृढीकरण एवं पुनर्निर्माण कार्यों हेतु पी.डब्लू.डी. व विभाग में पंजीकृत ठेकेदारों के अतिरिक्त अन्य विभागों के ठेकेदारों की भी प्रतिभागिता से प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण न सिर्फ उचित मूल्य पर निविदायें प्राप्त हो सकीं, अपितु कम से कम शासकीय धन से निर्माण कार्य सम्पन्न कराये जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

उल्लेखनीय है कि गन्ना विकास विभाग में भी ई-टेण्डरिंग प्रणाली लागू की जा चुकी है। विभाग की टेण्डरिंग प्रक्रिया में प्रतिभाग करने हेतु मात्र गन्ना विभाग एवं लोक निर्माण विभाग के पंजीकृत ठेकेदार ही अब तक अधिकृत थे। ई-निविदा में शत-प्रतिशत पारदर्शिता एवं स्वस्थ स्पर्धा कराये जाने के उद्देश्य से समस्त प्रकार के निर्माण कार्य हेतु आमंत्रित की जाने वाली ई-निविदाओं में विभाग के साथ-साथ राज्य एवं केन्द्र सरकार के समस्त राजकीय विभागों में सड़क एवं भवन निर्माण कार्यों हेतु विभिन्न समतुल्य श्रेणी के पंजीकृत ठेकेदारों को भी गन्ना विभाग में सड़क एवं भवन निर्माण कार्यों हेतु ई-निविदा प्रक्रिया में प्रतिभाग करने हेतु अधिकृत किया जा चुका है।

यह जानकारी देते हुए प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के अन्तर्गत प्रदेश में विभिन्न निर्माण कार्यों हेतु आमंत्रित निविदाओं में इस व्यापक प्रतिस्पर्धा के फलस्वरूप लगभग रू.25.05 करोड़ के राजस्व की बचत हुई है, इस वर्ष हुई बिटूमिन की दरों में बढ़ोत्तरी के कारण लगभग रू.4.87 करोड़ इसी बचत से समायोजित किये गये अन्यथा इसके लिये शासन से बजट से मांग करनी पड़ती साथ ही प्रदेष में 117 किलो. लम्बाई की 109 नई सड़कों को निर्माण एवं मरम्मत कार्य कराया गया। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2018-19 में व्यापक प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप लगभग 12.20 करोड़ के राजस्व की बचत हुई, जिससे प्रदेष की 36 कि.मी. लम्बाई की 54 अतिरिक्त सड़कों का कार्य कराया गया।

उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा से न सिर्फ गन्ना बाहुल्य क्षेत्रों में यातायात की व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि गन्ना आपूर्ति हेतु गन्ना कृषकों को भी सुगमता होगी।

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